अखिल भारतीय संवन्वित अलसी परियोजना की बैठक संपन्न

अखिल भारतीय संवन्वित अलसी परियोजना की बैठक संपन्न
किसानो का चयन कर बीज एवं खाद का वितरण
शाकाहारियो के लिए सबसे अधिक ओमेगा-3 की उपलब्धता
रिपोर्ट-एस0एन0त्रिपाठी
परियोजना निदेशक, तिलहन निदेशालय राजेंद्र नगर हैदराबाद के द्वारा अखिल भारतीय संबनवित अलसी परियोजना अलसी के अंतर्गत पूरे भारत में कार्यरत वैज्ञानिकों की ऑनलाइन मीटिंग संपन्न हुई जिसमें कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के अलसी योजना प्रभारी डॉ नरेंद्र सचान, डॉ नलिनी तिवारी, डॉ मिर्जा फैयाज हुसैन एवं तकनीकी सहायक श्री महेंद्र सोनकर द्वारा प्रतिभाग कर शोध उपलब्धियों के बारे में अवगत कराया गया।
विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित अलसी योजना में अब तक 27 प्रजातियों का विकास एवं पादप पादप रोग कि 17 एवं 15 तकनीकी विकसित की गई है जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। वर्ष 2020-21 में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन हेतु 30 किसानों को चयनित कर के बीज एवं खाद उपलब्ध करा दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अलसी का क्षेत्र 30 हजार हेo, उत्पादन 18 हजार टन एवं उत्पादकता 631 किलो प्रति हेक्टेयर है। जबकि देश की उत्पादकता 574 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। अलसी एक बहु उपयोगी फसल है जिसको सीधे या संवर्धन विधि द्वारा पूरे पौधों को इस्तेमाल किया जाता है। अलसी में शाकाहारीयो के लिए सबसे अधिक ओमेगा-3 होता है। ओमेगा-3 हमारे शरीर में नहीं बनता है। अतः हमें भोजन द्वारा ही लेना पड़ता है।