देहू भूप अति हर्षित तजहू मोह अज्ञान

देहू भूप अति हर्षित तजहू मोह अज्ञान
जनपद देवरिया के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा एकौना चल रही रामलीला का आज चौथा दिवस रहा है।
जिसमें ऋषि विश्वामित्र जी के द्वारा लोकहित के लिए यज्ञ किया जाता है। लेकिन असुर समूह द्वारा उनके यज्ञ में विघ्न डाला जाता है।
इसके लिए विश्वामित्र जी यज्ञ की की निर्विघ्नता के तमाम प्रयास करते हैं लेकिन उनके सारे प्रयास विफल हो जाते हैं। अंत में ऋषि विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिए महाराज दशरथ से सहायता मांगने जाते हैं।
ऋषि के आगमन की सूचना पाकर महाराज दशरथ बहुत प्रसन्न होते हैं । अर्घ और पाद्य के द्वारा ऋषि का यथोचित स्वागत करते हैं । और ऋषि से आने का कारण पूछते हैं।
ऋषि विश्वामित्र कहते महाराज असुर समुह हमें यज्ञ नहीं करने देते । इसलिए सहायता के लिए हम आपके दोनों पुत्र राम और लक्ष्मण को मांगने आए हैं ।
ऋषि विश्वामित्र के मुख से यह वचन सुनकर राजा दशरथ अत्यंत दुखी होते हैं । और कहते हैं हे मुनीश्वर धेनु धन हाथी घोड़े समेत मेरा पूरा राज्य ले लीजिए मैं अपनी सारी सेना यज्ञ की रक्षा में लगा दूंगा और मैं भी अपने पूरे सामर्थ्य के साथ आपके यज्ञ की रक्षा करूंगा । हे मुनिश्वर राम और लक्ष्मण तो अभी बालक है उनसे यज्ञ की रक्षा किस प्रकार होगी । तब गुरु वशिष्ट जी द्वारा अनेकों प्रकार से महाराज दशरथ को समझाया जाता है । और महाराज दशरथ राम और लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र को प्रदान करते हैं। और चरणों में निवेदन करते हैं हे मुनिवर आज से आप ही इन दोनों के माता पिता और गुरु हैं यदि इन बालकों से कोई अपराध हो जाए उसे क्षमा करिएगा ।
ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम को आते हैं और प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी द्वारा विश्वामित्र जी के यज्ञ की रक्षा मे सुबाहु और ताड़का का वध होता है
जिसका सचिव चित्रण बाबा सरयू दास रामलीला समिति कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता है ।
जिस कार्यक्रम को वहां उपस्थित जनता जनार्दन श्रद्धा और भक्ति से शांति का सहयोग देते हुए एकटक देखती है ।
प्रभु की आरती और प्रसाद वितरण के साथ चौथे दिन के कार्यक्रम का समापन होता है ।