क्या मंकीपॉक्स का प्रकोप एक महामारी का रूप लेगा, जानें क्या कहना है WHO का

क्या मंकीपॉक्स का प्रकोप एक महामारी का रूप लेगा, जानें क्या कहना है WHO का
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि उसे ऐसा नहीं लगाता है कि अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स का प्रकोप एक महामारी को जन्म देगा. रॉयटर्स के मुताबिक एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या संक्रमित लोग जो लक्षण प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं, वे बीमारी को प्रसारित कर सकते हैं. मई में मंकीपॉक्स के 300 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं. यह आमतौर पर एक हल्की बीमारी है जो निकट संपर्क से फैलती है, जिसमें फ्लू जैसे लक्षण और एक विशिष्ट दाने होते हैं. मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के बजाय यूरोप में हुए हैं जहां वायरस स्थानिक है. अब तक किसी की मौत की सूचना नहीं है. क्या है मंकीपॉक्स? मंकीपॉक्स एक चिकनपॉक्स की तरह का वायरस है लेकिन इसमें अलग तरह का वायरल संक्रमण होता है. ये सबसे पहले साल 1958 में कैद हुए एक बंदर में पाया गया था. साल 1970 में ये पहली बार ये किसी इंसान में पाया गया. ये वायरस मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के वर्षा वन इलाकों में पाया जाता है. कैसे फैलता है इंफेक्शन मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के पास जाने या किसी तरह से उनके संपर्क में आने से फैल जाता है. ये वायरस मरीज के घाव से निकलते हुए आंख, नाक, कान और मुंह के जरिए शरीर में घुस जाता है. इसके अलावा बंदर, चूहे और गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से भी इस वायरस के फैलने का डर बना रहता है. इसके अलावा ये वायरस यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वो समलैंगिक लोगों से संबंधित कई मामलों की जांच भी कर रहा है. कहा जाता है कि ये वायरस चेचक की तुलना में कम घातक होता है