सुहागिनों ने अखण्ड सौभाग्य की कामना से रखा वट सावित्री व्रत

सुहागिनों ने अखण्ड सौभाग्य की कामना से रखा वट सावित्री व्रत
सुहागिनों ने अखण्ड सौभाग्य की कामना के साथ सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा। जनमानस में इसे ‘बरगदाई’ भी कहते हैं। बरगद वृक्ष का पूजन कर महिलाओं ने पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा।
सुहागिनों ने बरगद वृक्ष की जड़ में जल अर्पित किया। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, धूप व दीपक प्रज्जवलित कर पूजा की। पूजा में विशेष रूप से खरबूजा चढ़ाया। इसके अलावा अन्य मौसमी फल, पूड़ी, चंदिया व अन्य पकवान का भोग भी अर्पित किया। महिलाओं ने कच्चे सफेद सूत से अपनी सामर्थ्य के अनुसार वृक्ष की परिक्रमा की। उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया। पूजा के अंत में देवी सावित्री और यमराज की कथा कही।
कथा में बताया गया कि पतिव्रता देवी सावित्री अपने तपबल और बुद्धि की चतुराई से पति सत्यवान की मृत्यु हो जाने के बाद भी यमराज से उसके प्राण वापस मांग लाती है। मृत्यु के देवता यमराज को भी एक पतिव्रता नारी के आगे विवश होकर उसके पति के प्राण पुनः वापस करने पड़ते हैं।बरगद के वृक्ष को अक्षय वट कहा गया है। यह सैकड़ों साल हरा-भरा बना रहता है। इसी कारण से सुहागिन इस वृक्ष की पूजा करके पति की लंबी आय