बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ का 25वा स्थापना दिउवस समारोह हुआ सपन्न

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ का 25वा स्थापना दिउवस समारोह हुआ सपन्न
आचार्य संजय सिंह, कुलपति व्दारा प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा पौधारोपण किया गया
रिपोर्ट-एस0एन0त्रिपाठी
नई ऊर्जा और उत्साह के साथ आज बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ का 25वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर “स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर” थीम पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह द्वारा बाबासाहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर कुलपति महोदय तथा शिक्षकों एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियो द्वारा विवि परिसर में पौधरोपण भी किया गया।
गूगल मीट के माध्यम से आयोजित स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि, विवि के कुलाधिपति डॉ0 प्रकाश सी0 बरतूनिया ने अपना संदेश प्रेषित करते हुए सभी को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में विश्वविद्यालय प्रगति कर रहा है, देश के सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में हमारे विवि ने नौंवे पायदान पर अपनी जगह बनाई है, विश्वविद्यालय को ग्रीन सर्टिफिकेट भी प्राप्त हुआ, एनआईआरएफ रैंकिंग भी सुधरी तथा यहाँ के 7 शिक्षक व कुलपति स्वयं विश्व के सर्वश्रेष्ठ 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हो कर विवि को नई पहचान दी है, इन सभी उपलब्धियों के लिए विश्वविद्यालय परिवार बधाई का पात्र है। आज हम विश्वविद्यालय का 25वां स्थापना दिवस मना रहे हैं, सभी को बधाई देने का यह सबसे अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि सभी के सामूहिक प्रयास से विश्वविद्यालय को यह उपलब्धियां प्राप्त हुई है और आगे भी ऐसे ही हम परिश्रम के साथ आगे बढ़ेंगे और नई ऊंचाइयों को हासिल करेंगे।
मुख्य वक्ता श्री नंद कुमार जी, अखिल भारतीय संयोजक, प्रज्ञा प्रवाह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि बाबासाहेब के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय उनके आदर्शों के अनुरूप ही आगे बढ़ रहा है और प्रतिदिन प्रगति पथ पर अग्रसर है। इसके लिए समस्त विवि परिवार बधाई का पात्र है। बाबासाहेब ने स्वपरिश्रम के द्वारा जो ख्याति और सम्मान प्राप्त किया वह किसी सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल कार्य है। अधिकांश लोग बाबासाहेब को सिर्फ संविधान निर्माता और हाशिये पर रह रहे समाज के उत्थान के लिए जानते हैं, मगर समाज में उनका योगदान इससे कहीं ज्यादा है। वे एक महान अर्थशास्त्री, संपादक, भाषा विद, कानून विद, संस्कृत के जानकार, दार्शनिक, एक महान नेता और एक महान व्यक्तित्व थे। कई क्षेत्रों में उनको ज्ञान प्राप्त था और वे आत्मनिर्भर तथा आत्मविश्वास से ओतप्रोत थे। आज हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और हमने कोरोनावायरस की वैक्सीन तैयार कर विश्व के कई देशों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें यह सोचने की आवश्यकता है कि जब हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे तब हमारा विमर्श क्या होगा? उन्होंने भारत की प्रगति के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त करने की बात करते हुए कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा लिखे इतिहास को पुनः सही तरीके से लिखने की आवश्यकता है क्योंकि वह इतिहास भारत की सही व्याख्या नहीं करता। सही इतिहास ही समाज को सही मार्गदर्शन दे सकता है। भारत का एक गौरवशाली इतिहास है, जिसे युवा पीढ़ी को बताना आवश्यक है।
अपना अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कुलपति महोदय ने कहा कि हम अपने विद्यार्थियों में “शिक्षार्थ आइए और सेवार्थ जाइये” का भाव विकसित कर रहे हैं, इस दिशा में विश्वविद्यालय में न सिर्फ शैक्षणिक कार्य बल्कि समाज कल्याण से जुड़े कार्य भी किए गए हैं। चाहे कोविड-19 व लॉकडाउन के दौरान हुई सामाजिक गतिविधियां हो या विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए 5 गांव के विकास से जुड़े कार्य हो, समय-समय पर विश्वविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी समाज की बेहतरी में अपना योगदान देते रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हम नए आयाम हासिल करें और अग्रणी विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल हो इसके लिए भी विश्वविद्यालय द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। हम, मैनेजमेंट में कैट के माध्यम से विद्यार्थियों को चयनित करने, विवि में तथा इसके सेटेलाइट कैंपस में भी नए विभाग शुरू करने, शैक्षिक गतिविधियां और बेहतर कैसे हो, इन सभी बिंदुओं पर विचार कर रहे है। डिफेन्स एडुकेशन, रिसर्च एंड डेवलोपमेन्ट के क्षेत्र में विस्तार के बारे में भी हम सोच रहे हैं। उन्होंने समस्त विश्वविद्यालय परिवार से संगठित होकर कार्य करने और नई ऊंचाइयों को छूने का आग्रह किया।
प्रो0 गोविंद जी पांडे ने सभी अतिथियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का कार्यक्रम में स्वागत किया तथा कार्यक्रम की विषय वस्तु के बारे में सभी को अवगत कराया । कार्यक्रम का संचालन डॉ राजश्री द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ हरिशंकर सिंह ने सभी अतिथियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों का कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया ।