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_करें योग रहे निरोग : सुप्त वज्रासन : प्रजनन और रीढ़ कि हड्डी का प्रमुख आसन जानिये इसके और फायदे और कायदे

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करें योग रहे निरोग : सुप्त वज्रासन : प्रजनन और रीढ़ कि हड्डी का प्रमुख आसन जानिये इसके और फायदे और कायदे*

Dr Rao P Singh

सुप्त वज्रासन

सुप्त वज्रासन एक संस्कृत का शब्द हैं जो कि दो शब्दों से मिलके बना हैं जिसमे पहला शब्द “सुप्त” का अर्थ “झुकाना” हैं और दूसरा शब्द “वज्र” का अर्थ “मजबूती” से है जिसे अंग्रेजी में “थंडरबॉल्ट (thunderbolt)” कहते हैं। यह आसन अंग्रेजी में ‘रेक्लिनेड हीरो पॉज़’ (Reclined Hero Pose) के नाम से जाना जाता हैं। सुप्त वज्रसन, वज्रासन का ही एक उन्नत और रेखांकित संस्करण है जिसमे ऊपर का शरीर पीछे की तरफ झुका हुआ जमीन पर रहता है। यह आसन आपके शरीर को टोन करने के लिए पर्याप्त है। सुप्त वज्रसन नर और मादा प्रजनन अंग दोनों के विकारों को कम करने में मदद करता है। सुप्त वज्रासन करने के लिए आपको पहले वज्रासन करना पड़ता हैं। लेकिन अंतिम स्थिति वज्रासन से बहुत ही अलग दिखती हैं। यह एक साधारण आसन है जिसे लंच या रात के खाने के बाद अभ्यास किया जा सकता है। इसका उपयोग ध्यान और श्वास अभ्यास का अभ्यास करने के लिए किया जाता है। इस आसन का नियमित अभ्यास आपको मजबूत और स्वस्थ बनाता है। सुप्त वज्रासन पाचन तंत्र और सहनशक्ति में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण और बहुत उपयोगी आसन है। सुप्त वज्रासन को ‘पवन मुक्तासन’ के साथ अभ्यास करने से यह अतिरिक्त गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को विकसित करने में मदद करता हैं।

सुप्त वज्रासन के लाभ

पीठ दर्द – सुप्त वज्रासन पीठ की मांसपेशियों को फैलाता हैं और यह डिस्क पर दबाव बनता हैं साथ ही यह एक दूसरे को अलग रखता हैं। पीठ दर्द में सुप्त वज्रासन से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और डिस्क को उनकी सही स्थिति पर लाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

रीढ़ की हड्डी – यह आसन रीढ़ की हड्डी की तंत्रिकाओं को मजबूत करता हैं। यह गर्दन की भीतर की नसों, थायरायड और पैराथायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता हैं। इसके अलावा यह पसलियों को फैलाता हैं जिससे फेफड़ों में अधिक से अधिक ऑक्सीजन शरीर में पहुंचती हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।

पाचन तंत्र के रोग – यह आसन करने से आपके पेट की नस पर भी खिंचाव पड़ता हैं जिससे पेट की एक प्रकार से मालिश होती हैं जो कि पाचन से संबंधित सभी रोगों को ठीक करती हैं। इस सुप्त वज्रासन को करने से पेट में कब्ज की समस्या खत्म हो जाती हैं। इसके अलावा यह आसन श्वसन के विकार और विभिन्न श्वसन अंगों की बीमारियों को ठीक करने में भी मदद करता हैं।

नकारात्मक ऊर्जा रोकने के लिए – सुप्त वज्रासन व्यक्ति के अन्दर साहस और आत्मविश्वास को बढाता हैं। यह रचनात्मकता और बुद्धि को बढ़ाता है क्योंकि यह मस्तिष्क में रक्त के परिसंचरण को बढ़ा देता है। यह मुद्रा आपके अन्दर नकारात्मक को कम करने में मदद करती हैं।

प्रजनन क्षमता – सुप्त वज्रासन करने से आपके जननांग की नसों पर भी खिंचाव पड़ता हैं। यह आसन नर तथा मादा दोनों के प्रजनन अंगों के विकार को कम करने में मदद करता हैं। यह आसन मस्तिष्क में आने वाले यौन विचारों को दूर करता हैं जिससे आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।

सुप्त वज्रासन की विधि

सबसे पहले आप समतल व साफ स्थान पर स्वच्छ आसन बिछा कर घुटने टेक कर बैठ जाएं।

इस आसन को करने के लिए आप वज्रासन में भी बैठ सकते हैं क्योंकि इस आसन की प्रारंभिक स्थिति बिलकुल वज्रासन के जिसे होती हैं।

अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपने शरीर को आगे की क्रिया करने के लिए तैयार करें, अपनी साँस को सामान्य रखें।

अब दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और कोहनी को जमीन पर रख लें

हाथों की कोहनी पर शरीर का थोड़ा से भार डालते हुए अपने ऊपर के शरीर को पीछे की ओर झुकाएं।

अपनी पीठ को पूरी तरह से फर्श पर रखें।

इसे बाद अपने सिर को पीछे की ओर मोड़ें यानि अपनी पीठ तरफ झुकाएं।

इस स्थिति में आपकी पीठ एक कमानी की तरह हो जाएगी जिसमे आपके कंधे और सिर फर्श पर रहेगा और आपके पीठ फर्श से ऊपर हो जाएगी।

अब अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपनी दोनों जांघों पर रख लें।

कुछ देर इसी अवस्था में रहकर वापस मूल अवस्था में लौट आवे

यह एक चक्र हुआ

सुप्त वज्रासन करने की अवधि को आप धीरे-धीरे बढ़ाएं।

आप इसके 3 से 5 चक्र कर सकते हैं।

सुप्त वज्रासन में सावधानिय़ा

उच्च रक्तचाप के रोगी इस आसन को ना करें।

अगर आपकी डिस्क फिसल (slipped disc) गई हैं तो आप इस आसन को ना करें।

घुटनों के दर्द से परेशान व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।

यदि आपकी गर्दन में दर्द हैं तो आप इस अभ्यास को ना करें।

यदि आपको पीठ के दर्द की समस्या हैं तो आप इस आसन को करने का प्रयास ना करें।

ऑस्टियोपोरोसिस और वर्टिगो के मामले में इस आसन का अभ्यास ना करें।

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