विश्वमोहिनी के रूप को देख नारद ने मांगा भगवान विष्णु का स्वरुप

विश्वमोहिनी के रूप को देख नारद ने मांगा भगवान विष्णु का स्वरुप
– जिगिना मिश्र की रामलीला का शुरु हुआ मंचन
भटनी।
रिपोर्ट ज्ञानेन्द्र मिश्रा
जिगिना मिश्र की रामलीला नारद मोह के मंचन से शुरु हुई। रामलीला की शुरुआत भगवान विष्णु की आरती से हुई। पहले ही दिन ग्रामीणों की भीड़ ने कलाकारों का खूब उत्साह वर्धन किया।
नारद मुनि की तपस्या से इन्द्र बेचैन हो जाते हैं। वह कामदेव को नारद मुनि की तपस्या भंग करने के लिए भेजते हैं। नारद मुनि की कठोर तपस्या को भंग करने में सभी कामदेव सहित अन्य देवता पूरी तरह विफल हो जाते हैं। नारद मुनि को इसका भान होने पर उन्हें खुद पर अभिमान को जाता है। वह अपना गुणगान तीनों देवों से करते हैं। भगवान विष्णु उनके अभिमान को तोड़ने के लिए लीला रचते हैं। शीलनिधि राजा की बेटी विश्वमोहिनी के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया जाता है। जहां पहुंचे देवर्षि नारद से राजा अपनी बेटी का भविष्य जानना चाहते हैं। विश्वमोहिनी को देखते ही नारद मोहित हो जाते हैं तथा भगवान विष्णु को पूरी कथा सुनाकर उनका रुप मांगते हैं जिससे वह विश्वमोहिनी को स्वयंवर में प्राप्त कर सकें।
विष्णु उन्हें बंदर का मुख दे देते हैं। जिससे उनका उपहास स्वयंवर में हो जाता है। क्रोधित नारद मुनि विष्णु को श्राप देते हैं कि यहि कपि स्वरुप उनके जीवन में वरदान साबित होंगे। नारद मुनि की भूमिका दिवाकर मिश्र, इन्द्र की भूमिका अलख निरंज मिश्र, शिव की भूमिका सुरेन्द्र मिश्र, मुक्ति नाथ मिश्र, सुनीत मिश्र, व्यास पीठ पर इन्द्रशेखर मिश्र, मुन्ना दुबे, विवेक कुमार, दयानिधि, उधौ मिश्र, प्रखर मिश्र आदि ने प्रमुख भूमिका निभाई।