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हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज का मामला : बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने वापस ली स्ट्राइक, अब ऐसे होगा विरोध

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हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज का मामला : बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने वापस ली स्ट्राइक, अब ऐसे होगा विरोध –

हापुड़ : 29 अगस्त को हापुड़ में तहसील चौपला पर विरोध प्रदर्शन से लौट रहे वकीलों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज के मामले में बार काउंसिल ऑफ़ यूपी के चेयरमैन ने स्ट्राइक वापस लेने का फैसला लिया है। वादाकारियों की समस्याओं को देखते हुए बार काउंसिल ये यह फैसल लिया है। वकीलों पर पुलिस के लाठी चार्ज से महिला वकील समेत कई वकीलों को गंभीर चोटें थी और कई वरिष्ठ वकील भी बुरी तरह घायल हो गए थे। इस घटना को लेकर पूरे प्रदेश में वकीलों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया और प्रदेश में वकील न्यायिक कार्य से विरत चल रहे थे।

हाईकोर्ट ने लिया मामले का संज्ञान

घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सभी सदस्यों की बैठक बुलाकर प्रदेश में 3 दिवसीय न्यायिक कार्य से विरत रहने का संज्ञान लिया गया था। वहीं, उच्च न्यायालय ने द्वारा 04 सितंबर को घटना का संज्ञान लेते हुए याचिका को स्वीकार करते राज्य सरकार को सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश को राज्य द्वारा गठित एसआईटी का सदस्य बनाने का निर्देश जारी किया था। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्यों ने दिनांक 8 सितंबर को एक बैठक बुलाई उच्च न्यायालय के आदेश 4 सितंबर का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया और 8 अगस्त को हुई बैठक का सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया की याचिका की तारिख 15 सितंबर निर्धारित की गई है। जिसके कारण काउंसिल के सदस्यों ने लिखित रूप से कहा है कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधित्व पर न्यायमूर्ति द्वारा सुनवाई की जाएगी।

वकील न्यायिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा

वकीलों के काम नहीं करने के कारण राज्यभर के करोड़ों वादकारी प्रभावित हो रहे हैं और अदालत में काम का बोझ बढ़ रहा है। न्यायाधीशों ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि 10 दिन बाद भी राज्य सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने उक्त आदेश दिनांक 09 सितंबर के बाद तत्काल बैठक बुलाकर सभी पक्षों को प्रस्तुत किया। जिसमें राज्य सरकार के वर्तमान रवैये एवं उच्च न्यायालय के उपरोक्त दो आदेशों की गहनता से जांच करने के बाद निर्णय लिया गया कि यदि सभी वकील न्यायिक प्रक्रिया से विरत रहकर कार्य करेंगे तो पूरे राज्य की न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। जिससे वादकारी एवं पीड़ित पक्ष प्रभावित होंगे।

यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष भी शामिल

यूपी बार काउंसिल के चेयरमेन शिवकिशोर गौड़ ने बताया कि सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 04 सितंबर व 9 सितंबर एवं प्रशासनिक रूप से न्यायमूर्ति द्वारा दिए गए आश्वासन पर सहमति व्यक्त की है। अधिवक्ता-वर्तमान न्यायिक गठित समिति पक्षकारों की बात पूरी तरह सुनने के बाद ही अग्रिम रूप से कोई निर्णय लेगी। उक्त न्यायिक समिति जिसका गठन 9 सितंबर को उच्च न्यायालय द्वारा किया गया है उसमें बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी शामिल हैं। अतः इससे यह संभावना कम हो जाती है कि वकील न्यायिक पीठ के समक्ष अपना मामला नहीं रख सकेंगे और उन्हें न्याय नहीं मिल पाएगा।

विरोध की रूपरेखा तैयार

ऐसी स्थिति में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमेन समस्त सभी सदस्य राज्य सरकार के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय स्थगित करते हैं। परिषद द्वारा सर्वसम्मति से पारित राज्य सरकार के विरूद्ध आन्दोलन की रूपरेखा इस प्रकार है। यदि राज्य सरकार द्वारा वकीलों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में निम्न प्रकार का आंदोलन किया जाएगा।

16 सितंबर को कलेक्ट्रेट, ट्रेजरी व रजिस्ट्री परिसर में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे वकील,
22 सितंबर को हापुड़ घटना के खिलाफ काला फीता बांधकर काला दिवस मनाएंगे,
29 सितंबर को वकील राज्य सरकार का पुतला फूंकेगे,
6 अक्तूबर को मंडलवार अधिवक्ता सम्मेलन आयोजित किया जाएगा,
12 अक्तूबर को बार काउंसिल ऑफ यूपी के प्रदेश कार्यालय पर प्रदेश के सभी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा,
20 अक्तूबर को विधानसभा का घेराव करेंगे।

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