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73 साल में पहली बार जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा का कब्जा

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73 साल में पहली बार जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा का कब्जा


देवरिया : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर 73 साल में पहली बार कमल खिला। भाजपा के गिरीश तिवारी ने सपा प्रत्याशी शैलजा यादव को बड़े अंतर से शिकस्त देकर पार्टी की प्रतिष्ठा बचा ली। आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब सत्ता में रहते भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत का स्वाद चखा है। अभी तक यह सीट कांग्रेस, सपा व बसपा की झोली में जाती रही है। भाजपा ने 1995 व 2006 में कड़ी टक्कर दी थी। इस सीट पर जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा लगी थी।
15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली। उसके अगले वर्ष एक मई 1948 को जिला परिषद चुनाव में चंद्रशेखर पांडेय शास्त्री को पहला अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल हुआ। वह दस साल तक इस कुर्सी पर काबिज रहे। 10 जून 1958 से दो अगस्त 1961 तक प्रशासक की तैनाती रही। फिर हुए चुनाव में दो अगस्त 1961 को प्रयागध्वज सिंह अध्यक्ष पद पर काबिज हुए। 15 जुलाई 1963 को मोहम्मद फारूक चिश्ती व 25 अक्टूबर 1963 को राजमंगल पांडेय अध्यक्ष चुने गए। 13 अप्रैल 1969 को प्रयागध्वज सिंह दोबारा अध्यक्ष चुने गए। वह 21 मार्च 1970 तक इस पद पर बने रहे। सफीक हुसैन 22 मार्च 1970 को अध्यक्ष पद पर जीते।

इसके बाद फिर आठ अक्टूबर 1970 से चार साल तक प्रशासक की तैनाती हुई। नौ नवंबर 1974 को बिरजानंद सिंह अध्यक्ष बने। पुन: 10 सितंबर 1977 से 24 जनवरी 1989 तक प्रशासकों को जिम्मेदारी सौंपी गई। उसके बाद फिर चुनाव हुआ। इस दौरान 25 जनवरी 1989 को गौकरण सिंह अध्यक्ष बने। उनका कार्यकाल चार सितंबर 1994 तक रहा। इसके बाद सुभाष त्रिपाठी को चार सितंबर 1994 से पांच अक्टूबर 1994 तक महज एक माह के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। छह अक्टूबर 1994 से 22 मई 1995 तक गौकरण सिंह को दोबारा अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज रहने का मौका मिला। वह जिला परिषद के अंतिम अध्यक्ष रहे।

1995 से जिला पंचायत अध्यक्ष का शुरू हुआ चुनाव
1995 में पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद जिला परिषद को जिला पंचायत के रूप में पहचान मिली। जिला पंचायत अध्यक्ष का पहली बार चुनाव 1995 में हुआ। तब भाजपा की दमयंती विश्वकर्मा व कांग्रेस की द्रौपदी मल्ल के बीच मुकाबला हुआ। जीत कांग्रेस की झोली में गई। द्रोपदी मल्ल अध्यक्ष चुनी गईं। उनका कार्यकाल 22 मई 1995 से 22 अक्टूबर 1997 तक रहा। अविश्वास प्रस्ताव के जरिये कुर्सी गंवानी पड़ी। 23 अक्टूबर 1997 से 21 जून 1998 तक धनंजय राव ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। 22 जून 1998 से 28 जुलाई 2000 तक शकुंतला यादव, 28 जुलाई 2000 से छह अगस्त 2000 तक आइएएस अरविद कुमार प्रशासक रहे। छह अगस्त 2000 से 22 मई 2005 तक कृष्णा जायसवाल, 23 फरवरी 2005 से नौ अक्टूबर 2005 तक राणा प्रताप सिंह अध्यक्ष रहे। 10 अक्टूबर 2005 से 13 जनवरी 2006 तक आइएएस के.रविद्र नायक, जेबी सिंह, राकेश कुमार गोयल प्रशासक रहे। 14 जनवरी 2006 से 13 जनवरी 2011 तक आनंद कुमार सिंह, 14 जनवरी 2011 से 13 जनवरी 2016 तक बालेश्वरी देवी अध्यक्ष रहीं। 14 जनवरी 2016 से मई 2018 तक रामप्रवेश यादव अध्यक्ष रहे। इसके बाद तत्कालीन डीएम सुजीत कुमार व अमित किशोर प्रशासक बने रहे।

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