घर की रौनक होती है बेटियां
कविता लेखिका दिव्या बाजपेई
जिस आंगन को सुना छोड़ आती है बेटियां
उस घर आंगन को महकाती है बेटियां
घर की शोभा बनती है बेटियां
घर को मंदिर प्रेम की मूरत होती हैं बेटियां
घर आंगन की रौनक है बेटियां
घर आंगन के कामों में हाथ वटाती है बेटियां
शादी होकर घर आती है बेटियां
बहू के रूप में लोगों को मिलती है बेटियां
घर आंगन की रौनक है बेटियां
जग जीवन में कई फर्ज निभाती है बेटियां
पढ़ लिख कर बड़ी होती घर का मान बढ़ाती है बेटियां
आज के युग में किसी से कम नहीं है बेटियां
दो घरों के कुल की दीपक हैं बेटियां
अपने माता-पिता का सम्मान रखें ऐसी होती हैं बेटियां
जीवन में कठिनाइयों का सामना करती है बेटियां
कभी ना दुखी होती खुश रहती है बेटियां
घर आंगन की रौनक होती है बेटियां
जीवन की राह में आगे बढ़ती है बेटियां
आज के युग में किसी से कम नहीं है बेटियां
बेटी बनकर आगे बढ़ती बेटा बनकर कहलाती है बेटियां
दो घरों का दीपक घर की रौनक होती है बेटियां