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भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 के अंतर्गत जैवविविधता काँक्लेव का उदघाटन

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भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 के अंतर्गत जैवविविधता काँक्लेव का उदघाटन

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF2020) का छठा संस्करण भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (DHF), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), और विज्ञान भारती (VIBHA) द्वारा संयुक्त रूप से 22-25 दिसंबर, 2020 के दौरान आयोजित

रिपोर्ट-एस0एन0त्रिपाठी

आईआईएसएफ़-2020 के तहत जैवविविधता कॉन्क्लेव कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री गोयल ने कहा कि पहले भारत को गरीब लोगों का एक गरीब देश माना जाता था, लेकिन वास्तव में भारत हमेशा से अपनी जैवविविधता के मामले में एक अमीर देश रहा है। भारत में, विशेष रूप से उत्तर-पूर्व क्षेत्र और पश्चिमी घाट क्षेत्र में, अद्वितीय जैवविविधता वाले जैवविविधता हॉटस्पॉट मौजूद हैं। भारत कई जनजातीय समुदायों का घर है, जिनका पारंपरिक ज्ञान एवं जैवविविधता संरक्षण का एक लंबा इतिहास है। इन्होंने जैविक विविधता कन्वेंशन (सीबीडी) के बारे में भी बात की जिसके फलस्वरूप जैवविविधता संरक्षण हेतु प्रशासनिक और विधायी स्तरों में कई परिवर्तन हुए एवं भारत के जैवविविधता अधिनियम 2002 के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। सीबीडी में जैवविविधता के ज्ञान एवं सतत उपयोग से उत्पन्न लाभों के समान बंटवारे की अवधारणा निहित है। उन्होंने बताया कि भारतीय दृष्टिकोण हमेशा प्रकृति का सम्मान करने का रहा है न कि उसके शोषण का। आज हम वनों की कटाई, खनन, जलवायु परिवर्तन और अन्य कारकों के कारण जैवविविधता क्षरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने विषय विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच जानकारी की साझेदारी के महत्व को दोहराया। उन्होंने कामना की कि हमारी अमूल्य जैवविविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बिन्दु प्रदान करने के लिए यह कॉनक्लेव आम जनता, प्रशासन और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाने की आवश्यकता को पूरा करेगा।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. एस के बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई एवं सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ तथा अध्यक्ष, विज्ञान भारती, अवध प्रान्त ने जैवविविधता कॉन्क्लेव की संरचना की जानकारी दी।
प्रो. बारिक ने बताया कि आईआईएसएफ़-2020 में जैव-विविधता सम्मेलन पारिस्थितिक तंत्रों, प्रजातियों, और आनुवंशिक स्तरों पर भारत की समृद्ध जैव विविधता, पारंपरिक समुदायों द्वारा जैव-विविधता संरक्षण की लंबी परंपरा और जैव-विविधता वितरण की मैपिंग एवं महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में देश के प्रयासों को प्रदर्शित करेगा। छात्रों, शोधकर्ताओं, स्वदेशी समुदायों, विज्ञान एवं तकनीक विशेषज्ञों और उद्योगों द्वारा परस्पर संवाद और समागम भी इस आयोजन का हिस्सा होगा। दो दिवसीय कार्यक्रम पूरी तरह से वर्चुअल वातावरण में होगा और इसमें विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों से आमंत्रित वार्ता द्वारा वेबिनार, ई-पोस्टर गैलरी, बायोडायवर्सिटी इनोवेशन एक्सपो, स्वदेशी समुदायों- विज्ञान एवं तकनीकी विशेषज्ञ मीट, उद्यमी – उद्योग मीट, लघु फिल्में एवं प्रकृति वन्यजीव फोटो प्रदर्शनी शामिल होंगे। ।
जैव विविधता कॉन्क्लेव के समन्वयक डॉ के एन नायर ने आज दिन भर के अन्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जिनमें जैवविविधता के विभिन्न पहलुओं क्रमशः जैवविविधता – संस्कृति इंटरफ़ेस: ग्रामीण भारत में सतत विकास की कुंजी, उद्यमिता और औद्योगिक विकास के लिए जैव-पूर्वेक्षण; जैवविविधता एवं जैवविविधता आधारित जैव-अर्थव्यवस्था मॉडल का उपयोग, पर वेबिनार सम्मिलित हैं।
इन वेबिनार को विषय के प्रख्यात विशेषज्ञों पद्मभूषण प्रो माधव गाडगिल, पूर्व प्रोफेसर और अध्यक्ष, सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु; प्रो कमलजीत एस बावा, संस्थापक अध्यक्ष, एटीआरईई, बेंगलुरु एवं एमीर्टस प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स बोस्टन; डॉ केविन आर थिएले, निदेशक, टैक्सोनॉमी ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रेलियाई विज्ञान अकादमी, कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया; प्रो उमा शंकर, पूर्व प्रोफेसर, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु; डॉ जे.के. जेना, उपमहानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली; डॉ वी बी माथुर, अध्यक्ष, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, चेन्नई; प्रो अखिलेश त्यागी, पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं पूर्व निदेशक, एनआईपीजीआर, नई दिल्ली; प्रो के.एन. गणेशैया, पूर्व प्रोफेसर, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा संबोधित किया जाएगा।
छात्रों, युवा शोधकर्ताओं, उद्यमियों, उद्योगों, आम जनता और नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता पैदा करने के अलावा, कॉन्क्लेव का उद्देश्य जैव-स्वावलंबी भारत के लिए जैव विविधता से संबंधित अनुसंधान, नवाचार और विकास के लिए एक रोड मैप तैयार करना है।
जैवविविधता कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य भारत की समृद्ध जैवविविधता और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान का प्रदर्शन करना; छात्रों, युवा शोधकर्ताओं, उद्यमियों, उद्योगों, आम जनता और नीति निर्माताओं में जैवविविधता और आर्थिक विकास के लिए इसके मूल्य के प्रति जागरूकता पैदा करना और जैव-अर्थव्यवस्था आधारित आत्मनिर्भर भारत हेतु जैवविविधता से संबंधित शोध, नवाचार और विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाना है।

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