प्रशासन की कार्यवाही के बाद भी अवैध गुटके कारोबारियों के हौसले बुलंद

अवैध तम्बाकू मिश्रित जहर युक्त गुटखे के मामले में अभहित अधिकारी का बस्ता पड़ा ठण्डा
0 प्रशासन की कार्यवाही के बाद भी अवैध गुटके कारोबारियों के हौसले बुलंद
रिपोर्ट बृजमोहन चतुर्वेदी
उरई(जालौन) – उत्तर प्रदेश सरकार की रोक के बाद भी उरई शहर के तुलसीनगर से लेकर जनपद जालौन के विभिन्न क्षेत्रो में तमाम जहर युक्त गुटखा दर्जनों मिश्रित अबैध गुटखा* चोरी छिपे बनाए जा रहें है
और जिसको लेकर कभी-कभी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मुहिम चलाई जाती है परंतु मामला बाद अभहित अधिकारी के चलते कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जिससे अबैध गुटखा कारोबारियों के हौसले सातवें आसमान पर पहुच जाते है और वह करोड़ो रूपए का यह अवैध गुटखे का व्यापार करने में जुट जाते है लेकिन अबैध गुटखे कारोबारी यह भूल जाते है कि जो हम कैंसर युक्त जहर बना रहे इसका असर लोगों पर कैसा असर डाल रहा है और यह जहर युक्त गुटखे तमाम बीमारी को कुकरमुत्ता की तरह फैला रहा है फिर भी इस पर रोक नहीं लग पा रहीं है। आखिरकार ऐसे कौन से लोग है जिनकी छत्रछाया में यह अबैध गुटखे का धंधा फल फूल रहा है ।
जबकि सुपाड़ी, मिश्रित तमाम जहर युक्त गुटखा दर्जनों अबैध गुटखा* बाजार में नहीं बिक सकता है। इतना हीं नहीं इसके ऊपर अच्छा खासा जुर्माना भी है और जेल भेजने का प्रावधान भी है लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि कहीं ऐसा तो नही? कि खाद्य विभाग की अभिहित अधिकारी मोटी सुविधा शुल्क मिलती हो जिससे इनको यह नजर अंदाज कर रही हो जब ज्यादा सरकार व प्रसाशन प्रेशर पड़ता हो तभी वो इक्का दुक्का लोगो की चेकिंग करके कागजी खानापूर्ति पूरी करती है। इसके पहले लाखों की गुटखा सामग्री पकड़ी जा चुकीं है परंतु गुटखा बनाने वालो की सेहत पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। इनका व्यवसाय दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। 95% मुंह का कैंसर गुटखे के सेवन से हो रहा है। इसके अलावा हार्ट अटैक, फेफेडो के रोग, दृष्टिविहीनता आदि रोग भी इससे पनपते हैं। प्रतिवर्ष लगभग 9 लाख लोग गुटखे का सेवन करने से मर जाते है। इसको रोकने के लिए शासन द्वारा न जाने कितनी मुहीम चलायी गयी परन्तु अवैध गुटखा कारोबारियों ने प्रशासन की कार्यवाही को अभहित अधिकारी के चलते अगूँठा ही नही पूरा ठेंगा दिखा दिया। और प्रशासन मौन पड़ गया कहीं कुछ दाल में काले के सामान की कहाबत तो सही तो नही हो रही है और बही पर अभहित अधिकारी के स्थानांतरण होने पर भी बो अपना मोह व अपनी कुर्सी जनपद जालौन से नही त्याग पा रही जिसेसे लोग यह कहने से नही चूक रहे है क्या उन्ही की संरक्षण में अवैध व्यापार फल फूल रहा हो? फिर भी यहीं कहा जा सकता है कि अगर इनकी अबैध गुटखा कारोबारियों से कोई बस्ता नही है तो फिर यह इतना कुछ होने पर कार्यवाही क्यों नही कर पा रही है आखिरकार दिलचस्प बाली बात यह है कि इस प्रतियोगिता में जीत किसके हाथ में है कानून का सिकंजा भारी या अवैध कारोबारियों की दुकानदारी। ये तो आने बाला बक्त बतायेगा।