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गोरखपुर मंडल में लगभग 90 प्रतिशत आरटीआई आवेदन गैरजरूरी: राज्य सूचना आयुक्त

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गोरखपुर मंडल में लगभग 90 प्रतिशत आरटीआई आवेदन गैरजरूरी: राज्य सूचना आयुक्त

मंडल की लगभग 90 प्रतिशत आरटीआई आवेदन केवल दस व्यक्तियों द्वारा दिये गए, अधिकांश का लोकहित से नहीं है सरोकार

राज्य सूचना आयुक्त ने कलक्ट्रेट सभागार में की आरटीआई प्रकरणों की सुनवाई

आज हुई 130 प्रकरणों की सुनवाई, गुण दोष के आधार पर 80 प्रकरण निस्तारित

23 एवं 24 फरवरी को भी करेंगे सुनवाई, एक ही व्यक्ति ने किए हैं दो दर्जन से अधिक विभागों में 485 आरटीआई आवेदन

रिपोर्ट ऋषिकेश दूबे

देवरिया, 22 फरवरी

माननीय राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने आज कलक्ट्रेट सभागार में आरटीआई प्रकरणों की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने कहा कि गोरखपुर मंडल में आने वाले लगभग 90 प्रतिशत आरटीआई आवेदन गैरजरूरी हैं। इनका व्यापक लोकहित से कोई सरोकार नहीं होता। व्यक्तिगत हित साधने एवं प्रशासन पर अनुचित दबाव बनाने के इरादे से अधिकांश आरटीआई आवेदन डाले जा रहे हैं। ऐसे आरटीआई आवेदनों की बाढ़ से व्यापक लोकहित से जुड़े आवेदनों की सुनवाई प्रभावित होती है। गोरखपुर मंडल में 90 प्रतिशत से अधिक आरटीआई आवेदन महज दस व्यक्तियों द्वारा डाले गए हैं।

राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि वे 22, 23 एवं 24 फरवरी को जनपद में 485 आरटीआई आवेदनों की सुनवाई करेंगे। ये सभी आरटीआई आवेदन एक ही व्यक्ति द्वारा दो दर्जन से अधिक विभागों में दिये गए हैं। इनमें से अधिकांश आरटीआई आवेदनों का व्यापक लोकहित से कोई सरोकार नहीं है। इन आवेदनों की वजह से विभागों को अपनी ऊर्जा एवं संसाधन नाहक ही खर्चने पड़ते हैं, जिससे विभागों का मूल कार्य प्रभावित होता है। ऐसे गैर जरूरी आरटीआई के आवेदनकर्ताओं को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न जनपदों में जाकर गुणदोष के आधार पर सुनवाई की जा रही।

उन्होंने कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की मूल भावना के तहत व्यापक जनहित, शासन-प्रशासन में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिए दिए गए आरटीआई आवेदनों की समुचित सुनवाई की जा रही है। ऐसे सकारात्मक आरटीआई आवेदनकर्ताओं ने शासन-प्रशासन की पारदर्शिता एवं कार्यकुशलता में वृद्धि की है।

सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्राविधानों के अनुसार 30 दिन के भीतर सूचना देना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखने में आता है कि जन सूचना अधिकार के तहत दिए जाने वाले आवेदन सही कार्यालय में नहीं पहुंचते है, जिससे सूचना मिलने में समस्या आती है। ऐसे आवेदनों का अंतरण 5 दिन की अवधि में संबंधित विभाग को कर देना चाहिए। सूचना देते समय व्यापक लोकहित का ध्यान रखा जाए।

राज्य सूचना आयुक्त ने आज 130 प्रकरणों की सुनवाई की जिसमें से 80 का निस्तारण किया गया। 10 प्रकरणों का निस्तारण विलंब से सूचना देने पर जुर्माने का साथ किया गया। अवशेष प्रकरणों को गुणदोष के आधार पर निस्तारित करने के लिए सुरक्षित रखा गया है। राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि वे माह में कम से कम 10 दिन जनपदों में सुनवाई करेंगे। देवरिया में 22 से 24 फरवरी तक, 25 फरवरी को कुशीनगर में, 27 फरवरी को गोरखपुर में एवं 28 फरवरी को महराजगंज जनपद में आरटीआई प्रकरणों की सुनवाई करेंगे।

इस अवसर पर एडीएम वित्त एवं राजस्व नागेंद्र कुमार सिंह, एसडीएम सौरभ सिंह, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय, बीएसए हरिश्चंद्र नाथ, ईओ रोहित सिंह, डीपीआरओ अविनाश कुमार, अधिशासी अभियंता पीडब्लूडी आरके सिंह, श्रम प्रवर्तन अधिकारी शशि सिंह सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद रहे ।

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