समय से जाँच व इलाज कराएँ- टीबी से छुटकारा पाएँ : डीटीओ
विश्व क्षय रोग दिवस(24मार्च)पर विशेष
समय से जाँच व इलाज कराएँ- टीबी से छुटकारा पाएँ : डीटीओ
टी.बी.का आधुनिक और संम्पूर्ण उपचार सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध
कन्नौज,23 मार्च 2022 |
हर साल 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है।इसका मकसद टीबी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।यह एक ऐसा गंभीर रोग है।जिसकी शुरुआत में ही पहचानकर और पूर्ण इलाज कराकर बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है | इसमें चूक से यह जानलेवा साबित हो सकता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा.जे.जे.राम बताते हैं कि यह एक संक्रामक बीमारी है। जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है | यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है | फेफड़ों में होने वाली टीबी को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होती है तो इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं| टीबी का बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में होता है।उसके टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है और इससें उस अंग का काम प्रभावित होता है।फेफड़ों में टीबी है।तो फेफड़े धीरे-धीरे बेकार हो जाते हैं।यूटरस में है तो इन्फर्टिलिटी (बांझपन) की वजह बनती है।हड्डी में है तो हड्डी को गला देती है।ब्रेन में है तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं।लीवर में टीबी होने पेट में पानी भरने लगता है।
उन्होंने कहा- टीबी कितनी भी गंभीर हो अब इसका इलाज संभव है।जिले में उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं और आधुनिक जांच मशीनों के आ जाने से यह रोग अब आसाध्य नहीं रह गया।लोग भ्रांतियों के चलते अभी भी टीबी से भयभीत होकर इधर-उधर भटकते हैं।जब कि मरीज की आधुनिक मशीनों से जांच हो जाए और वह दवाओं का पूरा कोर्स कर ले तो यह शत प्रतिशत ठीक हो जाने वाला रोग है।इसलिए कहते हैं टीबी को छिपाओ नहीं, टीबी को भगाओ।
जिला कार्यक्रम समन्वयक रंजीत सिंह ने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस पर जिले में विभिन्न जागरूकता गतिविधियों जैसे जागरूकता रैली,ग्रामसभा बैठक, शिक्षण संस्थानों में पोस्टर व निबंध प्रतियोगिता के साथ ही टी.बी.की जांच, उपचार, परामर्श सेवाओं सहित अनेक कार्य होंगे।
उन्होंने बताया कि जिले में अब भी लगभग 16 45 टी.बी.मरीजों का इलाज चल रहात्रहै, जिसमें से 119 एमडीआर मरीज,108 बच्चे शून्य से 18 साल तक व 248 बच्चे 18 से 25 साल तक के हैं।
टी.बी.(क्षयरोग) केलक्षण
भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, रात में पसीना आना, छोटे बच्चे का विकास रुक जाना, बच्चे का चिड़चिड़ा हो जाना।यह लक्षण तो हर टीबी में होंगे ही इसके अलावा हर अंग की टीबी के कुछ अलग लक्षण होते हैं।दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही है।खांसी में खून आ रहा हैऔर इसके साथ भूख कम लग रही है| वजन कम हो रहा है तो यह फेफड़े की टीबी हो सकती है।हड्डी की टीबी है तो उस हड्डी में या उसके पास दर्द होगा।गिल्टी की टीबी है तो वहां ग्लैंड बढ़ जाती है।
बचाव कैसे करें?
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि टीबी से बचने के लिए इम्युनिटीमजबूत रखें | पोषण से भरपूर खासकर प्रोटीनडाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीरआदि) लेनी चाहिए।कमजोर इम्युनिटी से टीबी के बैक्टीरिया सक्रिय हो सकते हैं।दरअसल टीबी का बैक्टीरिया कई बार शरीर में होता है लेकिन अच्छी इम्युनिटी से वह सक्रिय नहीं हो पाता और टीबी नहीं होती। – ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।कम रोशनी वाली और दूषित जगहों पर न रहें और वहां जाने से परहेज करें।कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। – मरीज को हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहना चाहिए।कमरे में हवा आने दें।पंखा चलाकर खिड़कियां खोल दें ताकि बैक्टीरिया बाहर निकल सके।मरीज को मास्क पहनाकर रहना चाहिए।मास्क नहीं है तो हर बार खांस ने या छींकने से पहले मुंह को नैपकिन से कवर कर लेना चाहिए।इस नैपकिन को ढक्कन वाले डस्टबिन में डालें। – ध्यान रखना चाहिए कि मरीज यहां-वहां थूके नहीं।मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। –