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_आकाशीय बिजली जानलेवा है, जानिए इसके बचाव के उपाय और चपेट में आने पर उपचार

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_आकाशीय बिजली जानलेवा है, जानिए इसके बचाव के उपाय और चपेट में आने पर उपचार

NDMA की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल आकाशीय बिजली गिरने से औसत 2500 लोगों की मौत होती है. 1967 से 2012 तक जितनी भी प्राकृतिक आपदाएं भारत में आईं, उनसे मरने वालों में 39 फीसदी लोग बिजली गिरने से मारे गए. सबसे ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में देखी गई हैं.

ज्यादातर आकाशीय बिजली मार्च से जून के महीने में गिरती हैं. लेकिन यह स्थानीय मौसम और जमीन की चार्जिंग पर भी निर्भर करता है कि बिजली कितनी और कब तक गिरेगी.

ये बात ध्यान रखिए कि बिजली हमेशा धरती पर मौजूद सबसे ऊंची वस्तु से पहले टकराती है. इसलिए कभी भी ऐसे मौसम में ऊंची इमारत, पेड़ या खंभे के नीचे न खड़े हो.

आकाशीय बिजली से बचाव
बारिश का मजा हर कोई लेना चाहता है. ऐसे में आकाशीय बिजली की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है.

रेडियो, टोस्टर जैसे किसी बिजली चालित सामान से दूर हो जाएं। बिजली चमकने के अंदेशे के पहले ही इलेक्ट्रानिक उपकरणों को प्लग से हटा दें। आग की जगहों, रेडियटर्स, स्टोव, किसी भी धातु के उपकरणों, सिंक और फोन का भी इस्तेमाल न करें।

खिड़कियों, दरवाजे और बरामदा में भी न जाएं। घर में किसी धातु के पाइप को भी न छुएं। हाथ धोने या शॉवर का उपयोग न करें। ऐसे वक्त बर्तन या कपड़े धोने का जोखिम भी न मोल लें।

अगर किसी पानी वाली जगह है तो तुरंत बाहर निकलें। पानी में छोटी नाव, स्विमिंग पूल, झील, नदी या जल के किसी भी अन्य स्रोत में नाव आदि पर सवाल हैं तो तुरंत वहां से निकल जाएं।

जब आप इलेक्ट्रिक चार्ज (बिजली) के आवेश में आते हैं तो बाल या रोएं खड़े हो जाते हैं, ऐसे में तुरंत ही जमीन पर लेट जाएं। वज्रपात जानवरों के लिए भी खतरा है, पेड़ के नीचे बारिश से बचने को खड़े जानवरों पर अक्सर बिजली जानलेवा साबित होती है।

बिजली से बचने का एक उपाय यह भी है कि विद्युत या टेलीफोन लाइन जैसे तारों को जमीन के अंदर से ही ले जाना चाहिए। जबकि हवा में झूलते तार अक्सर किसी इमारत में आकाशीय बिजली के संपर्क में आने का कारण बन सकते हैं। इससे घरों के इलेक्ट्रिक उपकरणों के साथ इमारत को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।

बच्चों को भी बिजली के किसी भी उपकरण से दूर ही रखें। मोबाइल चार्ज या किसी अन्य उपकरण को प्लग करने के साथ उसका इस्तेमाल तो बिल्कुल ही न करें। ज्यादा देर तक बिजली कड़कती है तो स्थानीय राहत एवं बचाव एजेंसी से संपर्क साध सकते हैं। अगर बिजली चली भी जाए तो भी इलेक्ट्रिक उपकरणों या स्विच को बार-बार न छुएं।

अगर आपको आसमानी बिजली से बचना है तो अपनाए ये उपाय

1 कभी भी खेतों, पेड़ों, तालाब आदि के पास न जाएं. क्योंकि इनके आसपास आपको चपेट में आने की आशंका ज्यादा होती है.

2 अगर आप घर के अंदर हैं और बाहर बिजली कड़क रही है तो आप बिजली से संचालित उपकरणों से दूर रहे हैं. तार वाले टेलिफोन का उपयोग न करें. खिड़कियां व दरवाजे बंद कर दें.

3 अपने घर की छत पर न जाएं. कोई भी ऐसी वस्तु के आसपास न रहें जो बिजली का सुचालक हो. यानी आकाशीय बिजली को अपनी ओर खींचता हो. धातु के पाइप, नल, फव्वारा, आदि से दूर रहें.

4 अगर आप घर से बाहर हैं तो कभी भी बिजली कड़कते समय पेड़ों के नीचें न खड़े हों. बेहतर होगा किसी कम ऊंचाई वाली इमारत में पनाह लें.

5 मजबूत छत वाली गाड़ी में रहें. बाहर मौजूद धातु से बनी किसी वस्तु के आसपास न खड़े हों. बाइक, बिजली या टेलिफोन के खंभों, तार या मशीन के आसपास न रहें.

अपनाए बिजली गिरने की संभावना जांचने के तरीके
लोगों को समझ में ये नहीं आता कि उन्हें बिजली अपनी चपेट मैं कैसे लेगी. इसका आसान सा तरीका है. जब भी आप ऐसे मौसम में बाहर या घर के अंदर हों और आपके सिर के बल खड़े हो जाएं, त्वचा में झुनझुनी हो तो समझ जाइए कि आप बिजली की चपेट में आ सकते हैं. इसलिए तत्काल झुककर दोनों हाथों से अपने कान बंद कर ले. अपने पंजों के बल बैठ जाएं. घुटने के ऊपर कुहनी होनी चाहिए. ये बात ध्यान रखिए कि आपके शरीर का जितना कम हिस्सा जमीन के संपर्क में रहेगा, आपके बचने के चांस उतने ही ज्यादा रहेंगे.

बिजली की चपेट पर आने पर क्या करे
अगर कोई बिजली गिरने की वजह से घायल है तो उसे तुरंत सीपीआर देना चाहिए. कृत्रिम सांस देनी चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि उसे तत्काल प्राथमिक इलाज मिले और नजदीकी अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया जाए.

अपनावे 30-30 फार्मूला
अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था सीडीसी (CDC) कहती है कि ऐसे मौसम में 30-30 का नियम अपनाएं. जैसे ही बिजली कड़कने और दिखने लगे तुरंत 30 तक गिनती गिनते हुए किसी छोटी इमारत के अंदर छिप जाएं. अपने सारे काम 30 मिनट के लिए रोक दें. इस दौरान किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग न करें, न ही उसके आसपास खड़े हों. आकाशीय बिजली गिरते वक्त घर के बाहर हैं तो 30-30 का रूल खतरे का अनुमान लगाने का आसान तरीका है। जब आपके इलाके में बिजली चमके तो तुरंत सेकेंड के हिसाब से 30 तक गिनती शुरू कर दें। अगर 30 सेकेंड के भीतर ही बिजली की गड़गड़ाहट भी सुनाई दे जाती है तो समझ लीजिए यह खतरा है और किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लेना बेहतर है।

मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग के पास देशभर में लगभग 30 रडार हैं जो हर 10 मिनट में मौसम अपडेट प्रदान करते हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह इन्सैट-3 डीआर से हर 15 मिनट में हमें ऐसे बादलों की जानकारी मिलती रहती है, जो बिजली पैदा करते हैं. देश अब संभावित खतरों के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए हर 5 मिनट में बिजली के बारे में ‘रियल-टाइम’ जानकारी अपडेट करने में सक्षम है.

सर्वाधिक आकाशीय बिजली गिरने पे प्रभावित क्षेत्र
झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम इलाके में स्थित एक गांव का नाम वज्रमारा है. यह नाम कब और कैसे पड़ा किसी को इसका पता नहीं है. लेकिन यह हर साल सैकड़ों बार वज्रपात यानी आकाशीय बिजली गिरती है. इसलिए इसका नाम वज्रमारा रखा गया है. लेकिन इस गांव में जागरुकता अभियान चलाने की वजह से मौतों की संख्या में काफी ज्यादा कमी आई है. इस गांव और इसके आसपास लाइटनिंग अरेस्टर लगाए गए हैं. ये ऊपर से गिरने वाली बिजली को खींचकर सीधे जमीन में डाल देता है. इस गांव के आसपास ऐसे करीब डेढ़ दर्जन अरेस्टर लगे हैं.

हर मानसून में अकेले वज्रमारा गांव में 500 बार बिजली गिरती थी. इस स्थान विशेष में इतनी बार आकाशीय बिजली गिरने की वजह यहां जमीन में मौजूद लोहा और तांबा जैसे खनिजों की भरमार है. ये आकाशीय बिजली को अपनी ओर खींचते हैं. इसके अलावा जंगल और पहाड़ के बीच होना भी एक बड़ी वजह है ।

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