हाई कोर्ट में अब नही लगेगी जमानत हेतु सीधी याचिका

हाई कोर्ट में अब नही लगेगी जमानत हेतु सीधी याचिका_*
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अब किसी भी आपराधिक प्रकरण में (अपवाद को छोड़कर) सीधे अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर नहीं की जा सकेंगी। जस्टिस प्रशांत मिश्रा की युगलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में अब धारा 438 के तहत निचली अदालतों में ही अग्रिम जमातन याचिका की सुनवाई का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट में सीधे अग्रिम जमानत याचिका दायर नहीं की जा सकती। लेकिन छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में वकील धारा 438 के तहत सीधे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर कर रहे थे। इसके चलते कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील हाई कोर्ट के ही न्याय दृष्टांतों का हवाला देकर अग्रिम जमानत देने की मांग कर रहे थे। ऐसे में रत्नेश सिंह चौहान सहित अन्य अभियुक्तों की याचिका भी लंबित थी।
इसकी सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने प्रकरण को उपयुक्त बेंच यानी युगलपीठ में स्थानांतरित किया। फिर इन मामलों की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस गौतम चौरड़िया की युगलपीठ में हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरेंद्र सिंह विस्र्द्ध उत्तर प्रदेश के मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया।
साथ ही उत्तर प्रदेश के ही विनोद कुमार के प्रकरण में दिए फैसले को कोड किया है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि बिना किसी ठोस वजह के सीधे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी नहीं लगाई जा सकती। जस्टिस मिश्रा की युगलपीठ ने भी इन प्रकरणों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए निचली अदालतों में स्थानांतरित कर दिया।
साथ ही आदेशित किया कि निचली अदालत उनकी अग्रिम जमानत अर्जी का नियमानुसार निराकरण करें। कोर्ट ने धारा 438 के तहत अब सीधे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर करने के व्यवस्था में भी बदलाव किया है। साथ ही किसी भी आपराधिक प्रकरण में हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका (अपवाद प्रकरण को छोड़कर ) प्रस्तुत नहीं करने का आदेश दिया है।
इन्होंने कहा
किसी भी आपराधिक प्रकरण में धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत याचिका दायर करने का प्रावधान है। इसमें वकीलों व पीड़ित पक्ष को छूट दी गई है कि वह या तो निचली अदालत में या फिर सीधे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगा सकते हैं। इस बीच 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी अदालतों में इस तरह के मामलों की वजह से बढ़ती पेंडेंसी को देखते हुए पहले निचली अदालतों में अग्रिम जमानत अर्जी लगाने का आदेश दिया है।सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न् आदेशों का हवाला देकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने भी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सीधे अग्रिम जमानत याचिका प्रस्तुत करने के बजाय पहले निचली अदालत में अर्जी प्रस्तुत करने की व्यवस्था दी है।