भारत रत्न माननीय पण्डित अटलबिहारी बाजपेयी जी और पण्डित मदनमोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर उन्हें भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि
भारत रत्न माननीय पण्डित अटलबिहारी बाजपेयी जी और पण्डित मदनमोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर उन्हें भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि
इन दोनो मनीषियों के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
सुप्रभात प्रातः वंदन
भारत रत्न माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती पर विशेष .. उनके श्री चरणों में एक विनम्र श्रद्धांजलि ..
हे युग पुरुष .. वैकुंठाधिपति श्री हरि के श्री चरणों में विराजमान आप देख पा रहे होंगे कि इस कालखंड में देश एक बहुत बड़े वैचारिक मंथन के दौर में है .. धर्म अर्थ काम मोक्ष .. चतुर्दिक एक द्वंद है और इन सबको आज की राजनीति ने अपनी परिधि में समा लिया है ..आप सोच रहे होंगे कि धर्म अर्थ काम तक तो मेरी बात सही हो सकती है पर मोक्ष भी .. जी हां आपकी सूक्ष्म दृष्टि यह भी देख पा रही होगी कि मोक्ष भी .. वैकुंठ धाम. मोक्ष धाम. मुक्ति पथ. मुक्ति धाम. साकेत पथ. साकेत धाम .. श्मशानों के भी भिन्न भिन्न नाम क्या वास्तव में राजनीति से परे हैं..जी नहीं ..इसलिए मोक्ष भी .. खैर.. इन पर चर्चा हमे आज के मूल विषय से दूर ले जाएगी..लौटते हैं आज पर सो..
आज राजनीति ने इन चारों पदार्थों को अपने आगोश में ले लिया है जो कल तक उस दयानिधि परम पिता परमेश्वर की दृष्टि में समाहित रहे ..
करता तुम्हीं भरता तुम्हीं हरता तुम्ही हो सृष्टि के !
चारों पदार्थ दयानिधि फल हैं तुम्हारी दृष्टि के !!
पर आज की राजनीति ने स्वयं ही स्वयं को परब्रह्म मान लिया है.. इन चारों पदार्थों को संचालित करने वाली सर्वशक्तिमान शक्ति.. अहम् ब्रह्मास्मि की घोषणा में तल्लीन आज की राजनीति..अहंकार के मद में चूर इस राजनीति ने वर्तमान को स्पष्टत: दो भागों में विभक्त कर दिया है..
मान्यवर ..एक हिस्सा है सच का और एक है झूठ का….
यक़ीनन झूठ बेहद ताकतवर हैं .. झूठ की तरफ पैसों की बारिश है ..अथाह धन अतुलित बल तो.. सच केवल अपने प्रताप से उसका मुकाबला कर रहा है ..सच के पास न धन है और न धन से अर्जित शक्ति..सच के पास केवल और केवल सच की ताक़त है .. स्थितियां इतनी खराब हो चुकी हैं कि अब तो इंसान के अंदर भी विभाजन शुरू हो गया है .. इंसान स्वयं में एक द्वंद कर रहा है कि वह स्वयं को कहां खड़ा करे .. सच के साथ जहां दुख है तकलीफें हैं कन्टकाकीर्ण दुर्गम पथ है न कोई साथी है और न ही कोई मंजिल.. या फिर झूठ के साथ जहां अहंकार है दंभ है द्वेष है पाखंड है बावजूद भौतिक सुख है संपदा है सम्मान है झूठा ही सही पर है ..
आप थे तो एक सच्चा मार्गदर्शक था एक सच्चा दिशा सूचक..अब तो राह दिखाने वाले लोग ही राह से भटका रहे हैं..जिनकी जिम्मेदारी बनती थी राष्ट्र समाज संस्कृति सभ्यता को सही दिशा देने की वे इसके मूल में स्थापित मर्यादा का ज्ञान भी नहीं रखते..न उन्हें नैतिक मूल्यों का ज्ञान है और न ही वे आपके आदर्शों सिद्धांतों को संज्ञान में लेना चाहते हैं..उन्हें तो यह कहने में लाज तक नहीं आती कि आप थे तो सत्ता सिंहासन से दूरी मात्र आपके सैद्धांतिक मूल्यों पर आचरण के नाते थी.. आज वे सत्ताधीश हैं तो अपनी कूटनीतिक चालों के नाते अन्यथा आपने तो आदर्श का जो मार्ग चुना था वह सत्ता की गलियारों से दूर ले जाने वाला था ..
आज आप नहीं है पर स्वर्ग से देख पा रहे होंगे कि आज का इंसान या तो शैतान बनकर निकल रहा है या फिर इंसान बने रहने के लिये संघर्ष कर रहा है..यह एक ऐसा काल है जिसमें नायकों के उठ खड़े होने के साथ ही खलनायकों का आक्रमणकारी हो जाना स्वाभाविक आचरण बन गया है ऐसे में यहाँ पर वही टिकेगा जिसके भीतर सच्चाई होगी बाकी सब दूसरी तरफ मिलेंगे..
जी हां ..
चलते हैं आज वे भी तेवर बदल बदल के !
चलना सिखाया जिनको हमने संभल संभल के !!
अब इसे युग प्रभाव कहें या काल चक्र बात तो एक ही होगी.. कुछ लोग इसे आसुरी शक्तियों के प्रभाव का काल कह रहे हैं तो कुछ लोग मात्र संक्रमण काल कह कर मौन हो जा रहे हैं.. क्षमा करिएगा आपके कुछ शिष्य इसे सुंदर सुखद भविष्य का संकेत भी मान रहे हैं.. पूर्ण विनाश से पुनः निर्माण का सिद्धांत उनके इस सोच को ताकत देता है शायद ! यह वे लोग हैं जो बहुत ही तेज गति से राम राज्य की ओर लौट आने के दावे कर रहे हैं .. जो प्रत्यक्ष है वह संतुष्टि का कारक नहीं और जो अप्रत्यक्ष हैं वह भविष्य के गर्भ में हैं ..
हे महामानव चूंकि मैं तो आपके आदर्शों सिद्धांतों विचारों और उदगारों को जीता रहा सो चिंतित हूं कि ” क्या होगा आगे ”
सब कुछ महाकाल पर छोड़ते हुए आज के दिन बस इतना ही .. आपको कोटि कोटि नमन ..
निर्दोष रक्त से सनी राजगद्दी!
श्मशान की धूलि से भी गिरी है!
सत्ता की अनियंत्रित भूख !
रक्त पिपासा से भी बुरी है !!
” अटल जी ”
विनम्र श्रद्धांजलि
सादर वन्दे 🙏🏻प्रेम शंकर मिश्र एडवोकेट राष्ट्रीय प्रवक्ता एंट्री करप्शन कोर इंडिया