40 डिग्री से अधिक तापमान दिल, मस्तिष्क और गुर्दे के लिए खतरनाक

*40 डिग्री से अधिक तापमान दिल, मस्तिष्क और गुर्दे के लिए खतरनाक*
गाजियाबाद-एनसीआर मै 40 डिग्री से अधिक तापमान दिल, मस्तिष्क और गुर्दे के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। गर्मी बढ़ने के बाद शारीरिक क्षमता कम होने से गुर्दा फेल होने, हाइपरटेंशन, सांस के 30 से 35 फीसदी मरीजों की संख्या एमएमजी और संयुक्त अस्पताल में बढ़ गई है। तीन से चार घंटे धूप में रहने वालों को अधिक परेशानी हो रही है।एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा का कहना है कि शरीर 35 से 37 डिग्री तक का तापमान बिना किसी परेशानी के झेल लेता है, लेकिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर शरीर के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल होता है। यह स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी (रेड सिग्नल) है। 40 से 42 डिग्री सेल्यिस होने पर सिरदर्द, उल्टी और शरीर में पानी की कमी की परेशानी बढ़ती है। अगर 43 डिग्री सेल्सियस हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी परेशानी के अलावा रक्तचाप का कम होने की परेशानी होने लगती है।क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. अरविंद डोगरा का कहना है कि मस्तिष्क का खास तंत्र (हाइपोथैलेमस) शरीर के तापमान की सीमा बनाए रखने के लिए ऑटो-कंट्रोल करता है। 35 से 37 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान शरीर बिना किसी परेशानी के सह सकता है। लेकिन 40 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर हाइपोथैलेमस प्रभावित होने से मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बेचैनी, अस्पष्ट आवाज, चिड़चिड़ापन, दौरे या चेतना को नुकसान होता है। डॉ. डोगरा ने बताया कि शरीर ठंडा होने के लिए त्वचा में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, इससे महत्वपूर्ण अंगों में रक्त प्रवाह कम होने पर हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय गति तेज हो जाती है और हृदय से जुड़ी परेशानियां बढ़ जाती हैं। अंगों में रक्त के प्रवाह में कमी से कई अंग काम करना बंद या फेल हो सकते हैं। इसमें गुर्दा, लिवर और मांसपेशियां विशेष रूप से कमजोर हो रही हैं। रैबडोमायोलिसिस, एक ऐसी स्थिति जिसमें क्षतिग्रस्त मांसपेशी ऊतक टूट जाता है, गुर्दा फेल होने का कारण बनता है।
*डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन*
अत्यधिक पसीना आने से शरीर में तरल पदार्थ की कमी और डिहाइड्रेशन हो रहा है।इससे सोडियम और पोटेशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाता है।इस असंतुलन के कारण मांसपेशियों में ऐंठन, कमजोरी और हृदय संबंधी परेशानी बढ़ जाती है।अत्यधिक गर्मी के संपर्क में लंबे समय तक रहने से शरीर का तापमान खतरनाक रूप से बढ़ जाता है,इससे हाइपरथर्मिया यानी असामान्य रूप से शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है।अधिक तापमान होने पर शरीर क्षमता से अधिक गर्मी सोख लेता है या गर्मी को बाहर नहीं कर पाता है। इस कारण शरीर का तापमान बहुत अधिक हो जाता है।
*हृदय प्रणाली पर बढ़ता है दबाव*
शरीर लंबे समय तक उच्च तापमान के संपर्क में रहता है, तो इस कारण गर्मी से थकावट (हीट एग्जॉशन) हो जाता है। इसके कारण कमजोरी, चक्कर आने, मतली और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो इससे लू का खतरा हो जाता है।उच्च तापमान हृदय प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इससे हृदय संबंधित समस्याओं की परेशानी बढ़ जाती है। जिन लोगों को पहले से ही हृदय की समस्या रही है उनमें अधिक गर्मी की स्थिति हृदयाघात और स्ट्रोक के खतरे भी बढ़ जाते हैं।