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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए अंतर विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित

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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए अंतर विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित

लंपी स्किन डिजीज से गोवंश के मृत्यु की संभावना नगण्य, घबराये नहीं पशुपालक:डीएम

हर्बल तरीके अपनाकर करें लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम:डीएम

डीएम ने लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन तेज करने के दिये निर्देश

देवरिया, 7 सितंबर

रिपोर्ट ऋषिकेश दूबे

जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में कल देर सायं लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) की रोकथाम के लिए अंतर्विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने पशुपालकों को लंपी स्किन डिजीज के संबन्ध में जागरूक करने एवं टीकाकरण अभियान तेज करने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज से गोवंश की मृत्यु की संभावना अत्यंत नगण्य होती है, इसलिए पशुपालक घबराएं नहीं। यदि किसी गोवंश में इसके लक्षण दिखे तो उसे अन्यत्र आइसोलेट कर दें। पशुओं में हल्का बुखार पूरे शरीर में जगह-जगह गाठों का उभरा हुआ दिखाई देना इत्यादि इस बीमारी के लक्षण हैं।

डीएम ने कहा कि यदि किसी गोवंश में लंपी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत निकटवर्ती पशु चिकित्सा केंद्र अथवा डेडीकेटेड कंट्रोल रूम की मोबाइल नंबर 94158 33790 पर संपर्क कर परामर्श प्राप्त करें। बिना चिकित्सकीय परामर्श के गोवंशों को किसी भी प्रकार की दवा न दें। इससे उनका नुकसान हो सकता है। जिलाधिकारी ने बताया कि लंबी स्क्रीन डिजीज की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर वैक्सीनेशन के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हर्बल उपायों को अपनाकर भी लंपी वायरस के प्रसार रोका जा सकता है।

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अरविंद कुमार वैश्य ने बताया है कि पशुपालक संक्रमण से बचाव हेतु आंवला, अश्वगन्धा, गिलोय एवं मुलेठी में से किसी एक को बीस ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह-शाम लड्डू बनाकर खिलायें। तुलसी के पत्ते, दालचीनी, सोठा पाउडर, काली मिर्च को गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम खिलाये। संक्रमण को रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कन्डे में गूगल, कपूर नीम के सूखे पत्ते, लोहवान को डाल कर सुबह-शाम धुंआ करें। पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एवं 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलायें। उन्होंने बताया है कि संक्रमण होने के बाद देशी औषधि व्यवस्था भी आवश्यक है, इसके लिए नीम के पत्ते, तुलसी के पत्ते, लहसुन की कली, लौंग, काली मिर्च, जीरा, हल्दी पाउडर, पान के पत्ते, प्याज को निर्धारित अनुपात में गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 10 से 14 दिन तक खिलाये। खुले घाव के देशी उपचार के लिए एक मुट्ठी नीम के पत्ते, एक मुट्ठी तुलसी के पत्ते, एक मुट्ठी मेंहदी के पत्ते, लहसुन की दस कली, दस ग्राम हल्दी पाउडर, आधा लीटर साफ नारियल का तेल को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम के पत्ती पानी में उबाल कर पानी से घाव करने के बाद जख्म पर लगाये। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी रवींद्र कुमार, एडीएम प्रशासन गौरव श्रीवास्तव, समस्त एसडीएमगण, डीपीआरओ, वेटेनरी ऑफिसरगण, बीडीओ सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
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