UP निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट का आदेश क्या है संछिप्त में समझिये

UP निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट का आदेश क्या है संछिप्त में समझिये
1-उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा शहरी विकास विभाग में धारा 9-ए (5)(3)के तहत 5दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना निरस्त कि जाती है इस अधिसूचना के रद्द हो जाने से हाल ही में जो सीटों को लेकर बदलाव आया था वो वापस हो गया हैं
2-सरकार की तरफ से 12दिसम्बर 2022 को जो शासनादेश जारी किया गया था कि निकायों जहाँ कार्यकाल पूरा हो रहा है वहाँ कार्यपालक अधिकारी और वरिष्ठतम अधिकारी के माध्यम से नगर पालिकाओं के खाते चलेंगे उसे निरस्त कर दिया गया है
3-हाई कोर्ट ने साफ कर दिया हैं कि बिना ट्रिपल टेस्ट/शर्तो के ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है दूसरा हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि ट्रिपल टेस्ट शर्तों के पूरा hone में कै महीने लग सकते हैं ऐसे में चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के तुरंत कराये जाये मतलब ये कि हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद अब जो UP में नगर निगम चुनाव होंगे उसमें SC और ST के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है ये सीटें सामान्य श्रेणी के लिए अधिसूचित की जाएगी
4-हाई कोर्ट ने अपने इस आदेश से ये भी साफ कर दिया है की अगर नगर पालिका निकाय का कार्यकाल सम्माप्त हो जाता है तो चुनाव होने और निकाय के गठन तक तमाम मामलों को एक कमेटी देखेगी जो तीन सदस्यीय होगी और इसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट करेंगे सदस्यों के कार्यकारी अधिकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर आयुक्त शामिल होंगे वहीं इस कमेटी में तीसरा सदस्य जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित होगा जो जिले स्तर का अफसर होगा साथ ही ये भी सनद रहे वो कमेटी कोई बदा नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती सिर्फ रोजाना के कार्यों का ही निर्वहन करेगी
5-हाई कोर्ट ने कहा है कि चुनाव तुरंत अधिसूचित करें और नगरपालिका के चुनाव की अवधि तक खत्म होने से पहले पूरी हो जाये साथ ही कहा है कि हम समझते हैं कि आयोग के लिये ये एक भारी और समय लेने वाला कार्य है लेकिन भारतीय संविधान में निहित संवैधानिक जनादेश के कारण निर्वाचित नगर निकायों के गठन में देरी नहीं की जा सकती है समाज के शासन के लोकतान्त्रिक चरित्र को मजबूत करने के लिये यह आवश्यक है कि चुनाव जल्द से जल्द हों इंतजार नहीं कर सकते