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किसान मेला,गोष्ठी,कृषि प्रदर्शनी का आयोजन कर,कृषकों को किया गया जागरूक

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किसान मेला,गोष्ठी,कृषि प्रदर्शनी का आयोजन कर,कृषकों को किया गया जागरूक

रिपोर्ट सरस सिंह

भदोही जनपद स्तरीय रवी उत्पादकता गोष्ठी/ मेला का आयोजन विधायक औराई दीनानाथ भाष्कर की अध्यक्षता में कृषि भवन घरांव के प्रांगण में संपन्न हुआ। विधायक ने बताया कि सरकार का उद्देश्य होता है कि गोष्ठी के माध्यम से कृषकों को जागरूक किया जाता रहे और नवाचार से अवगत कराया जाए । इस संबंध में सरकार निशुल्क सिंचाई की व्यवस्था की है। अनुदान पर उर्वरक एवं बीज की व्यवस्था की है। कृषक पराली न जलाये बल्कि इसे डीकम्पोजर से सड़ा दे जिससे जैविक उर्वरक प्राप्त हो सके। इनके द्वारा किसानों का आश्वस्त किया गया कि कृषकों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होने पायेगी इसके लिए सरकार आपके साथ खड़ी है। इन्होंने कृषकों को आह्वान किया कि रसायनिक खेती के बजाय अब प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये किसान मेले में जनपद के दूर-दराज से बड़ी संख्या में कृषकों की सहभागिता रही।
रबी उत्पादकता गोष्ठी में भानु प्रताप सिंह मुख्य विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि जो भी नवाचार बताये जा रहे हैं उसे जरूर अपनायें। समय आ गया है कि परम्परागत खेती से हटकर जैविक फसल एवं सब्जी की खेती करें जिससे स्वास्थ्य भी ठीक रहे और लागत भी कम आये। कृषको से अपील किया गया कि पराली न जलाये इससे जीवाश्म कार्बन खत्म हो जाते हैं और पर्यावरण को नुकसान होता है।
उप कृषि निदेशक डॉ अश्वनी कुमार सिंह द्वारा रबी गोष्ठी को रेखांकित करते हुए बताया गया कि कृषकों की आय बढ़ाने के लिए खेती की लागत कम करना होगा, उत्पादन अधिक और उत्पादन का उचित कीमत मिले। इसके लिए कृषि विभाग के माध्यम से गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। इससे सुदूर गाँव के लोगों कृषि विभाग एवं संवर्गीय विभागों द्वारा किस प्रकार की योजनाएं चलायी जा रही है, उसका लाभ अन्तिम गाँव तक कैसे पहुँचे, और योजनाओं का लाभ कैसे मिले। इनके द्वारा कृषि विभाग से समस्त प्रकार के कृषि निवेश, कृषि यंत्र सोलर पम्प पर अनुदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
गोष्ठी में डा विश्ववेन्दु द्विवेदी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड कृषि विज्ञान केन्द्र बेजवा द्वारा जैविक खेती के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र बनो की विधि एवं कैसे प्रयोग करे की जानकारी दी गयी। इनके द्वारा मशरूम एवं मधुमक्खी पालन को विस्तृत जानकारी दी गयी। इसी संस्थान के डा० आर०पी० चौधरी द्वारा दलहनी, तिलहनी एवं गेहूं की फसलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। इनके द्वारा बताया गया समय से गेहूं की बुवाई 26 नवम्बर तक कर लेना चाहिए इसके बाद पिछले गेहूं की बुवाई करनी चाहिए। सरसों के खेत में विविधीकरण करना चाहिए और प्रथम सिंचाई 30-35 दिन में करनी चाहिए। डा० मनोज कुमार पाण्डेय द्वारा पराली प्रबंधन के बारे में बताया गया कि पराली को जलाना नहीं चाहिए बल्कि कृषि विभाग द्वारा निःशुल्क वितरण किये गये डीकम्पोजर से सड़ा देना चाहिए। सुनील कुमार तिवारी जिला उद्यान अधिकारी द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजनान्तर्गत कद्दूवर्गीय सब्जी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। इच्छुक कृषक सम्पर्क कर लाभ ले सकते हैं। इनके द्वारा स्प्रिंकलर सेट, ड्रिप सिचाई, रेनगन सिचाई के बारे में जानकारी दी गयी। जिला सूचना अधिकारी डॉ.पंकज कुमार द्वारा गोष्ठी में जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए आह्वान किया गया।
डा० जय सिंह मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा पशुओं में लगने वाली लम्पी डिजिज बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया गया कि जानवरों को तेज बुखार एवं चकते पड़ने लगते हैं। इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले साफ-सफाई करें और तत्काल पशु डाक्टर से सम्पर्क करें। कृत्रिम गर्भाधान हेतु पशुओं का टीकाकरण लगाया जा रहा है। खुरपका मुँहपका का टीकाकरण उपलब्ध है, जिन कृषकों को आवश्यकता है टीकारण करा सकता है। अशोक कुमार जिला कृषि अधिकारी द्वारा बताया गया कि जनपद में खाद एवं बीज की कमी नहीं है कृषक धैर्यपूर्वक कय कर फसल की बुवाई करें। इनके द्वारा प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने का सलाह दिया गया। राघवेन्द्र कुमार शुक्ल सहायक आयुक्त एव निबंधक सहकारिता द्वारा बताया गया कि उर्वरक की कमी नहीं है। किसान जब भी उर्वरक का कय करें अंगूठा अवश्य लगायें। गोष्ठी में प्रगतिशील कृषक डा० शिव चन्द यादव द्वारा प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि एक गाय से 30 एकड़ खेती की जा सकती है। गाय के गोमूत्र, गोबर, बेशन, गुण और बड़े पेड़ के नीचे की मिट्टी से जीवामृत बनाया जाता है। गोष्ठी में श्री राहुल त्रिपाठी वैदिक प्रो०क०लि० के द्वारा बताया गया कि धान गेहूँ से हटकर औषधीय खेती लेमनग्रास, तुलसी, खस की खेती से अधिक लाभ मिलता है।
गोष्ठी में विभिन्न विभागों और प्राइवेट क्षेत्र के फर्मों द्वारा कृषि प्रदर्शनी में स्टाल लगाकर कृषकों को जानकारी दी गयी। इस मौके पर पराली प्रबंधन हेतु डी कम्पोजर एवं साहित्य का निःशुल्क वितरण कराया गया। अन्त में अध्यक्ष की अनुमति से रत्नेश कुमार सिंह उप समागीय कृषि प्रसार अधिकारी द्वारा मेले का समापन की घोषणा की गयी।

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