H S live news

No.1 news portal of UP

असत्य पर सत्य की जीत के बाद पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी व उनके भाई को मिली बड़ी राहत

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female”]

असत्य पर सत्य की जीत के बाद पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी व उनके भाई को मिली बड़ी राहत

रिपोर्ट केशव आचार्य गोस्वामी


-बीजेपी के गोवर्धन नगर पंचायत अध्यक्ष ने घर में घुसकर हमला करने के मामले में दर्ज कराया था पत्रकार व उनके भाई के खिलाफ फर्जी मुकदमा
-इससे पूर्व नगर पंचायत कर्मचारी के नाम से दर्ज मुकदमे में भी जारी प्रसंज्ञान व समन आदेश को कड़ी टिप्पणी के साथ पहले ही हाईकोर्ट कर चुका है स्टे

मथुरा। माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी व उनके भाई को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ निचली अदालत द्वारा बीजेपी पार्टी के गोवर्धन नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा दर्ज कराए एक मुकदमे में जारी प्रसंज्ञान व समन आदेश को रद्द कर दिया। इससे पहले गोवर्धन नगर पंचायत कर्मचारी द्वारा दर्ज कराए मामले में भी इसी तारीख पर इसी निचली अदालत के प्रसंज्ञान व समन आदेश को 22 मार्च 21 को कड़ी टिप्पणी के साथ अगले आदेश तक माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे कर दिया था।

ये था पूरा मामला
आपको बता दें कि गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान मथुरा से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र प्रखर क्रांति चक्र में गोवर्धन संवाददाता गोपाल प्रसाद सैनी ने 26 अप्रैल 20 की सुबह नशेड़ी अराजकतत्वों का चरस/गांजा भरकर चिलम पीते हुए का फेसबुक वीडियो लाइव किया था। वीडियो के तुरंत वायरल होने के बाद सत्ताधारी बीजेपी पार्टी के गोवर्धन नगर पंचायत अध्यक्ष पं. खेमचंद शर्मा के इकलौते दबंग बेटे नन्दकिशोर शर्मा उर्फ नन्दू ने अपने गुंडों के साथ गोपाल के घर जाकर चेयरमैन पिता के खिलाफ न केवल खबरें चलाने को लेकर बल्कि जान से मारने व फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजने की भी सार्वजनिक रूप से धमकी दी और अपने खंडहर पड़े नौहरे(प्लाट) में अवैध मादक पदार्थों का सेवन, खरीद-फरोख्त, जुआ खेलने आदि को खुला संरक्षण यह कहते हुए दिया कि अगर कोई उन्हें रोके तो उठाकर ईंट-पत्थर मारना बाद में वह देख लेंगे। इस पूरे घटनाक्रम का स्टिंग वीडियो भी गोपाल ने सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया जिसके बाद वह काफी वायरल हुआ था और तमाम न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर खबरें भी प्रकाशित हुई थीं। इसी धमकी भरे प्रथम दृष्टया वीडियो सुबूत के आधार पर गोपाल ने दबंग नन्दकिशोर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी जिसे भी सत्ता के प्रभाव के चलते मामूली धाराओं में दर्ज किया गया जिसके बाद गोवर्धन नगर पंचायत अध्यक्ष पं. खेमचंद शर्मा ने तत्कालीन इंस्पेक्टर गोवर्धन लोकेश भाटी व तत्कालीन कस्बा इंचार्ज व विवेचना अधिकारी दरोगा सत्यपाल नागर के साथ मिलकर अपने इकलौते बेटे को कानूनी कार्यवाही से बचाने के लिए एक फर्जी एफआईआर नगर पंचायत कर्मचारी के नाम से पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी के खिलाफ दर्ज करा दी, जिसका भी काफी विरोध हुआ और तमाम सवाल उठे लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक सभी पुलिस आलाधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी मामले में सत्ताधारियों के इशारे पर ही मनमाफिक कार्यवाही की गई।

वहीं जब पूरा मामला सोशल मीडिया के जरिए देश-प्रदेश में वायरल होने लगा और मथुरा पुलिस पर सवालों की बौछार होने लगी तो 29 अप्रैल 20 की शाम गोवर्धन नगर पंचायत अध्यक्ष ने अपने भतीजे को पत्रकार के घर राजीनामा कर मामला खत्म करने के लिए सन्देशवाहक के रूप में भेज दिया जिसके बाद पत्रकार का छोटा भाई मामला यहीं खत्म हो जाए इससे अच्छा क्या होगा, सोचकर चेयरमैन के घर चला गया लेकिन उसे क्या पता था कि यह सब सुनियोजित साजिश थी कि किसी भी तरह से पत्रकार को बुलाकर उसे एक और फर्जी केस में फंसा दिया जाए ताकि सत्ताधारी दबंग चेयरमैन के बेटे के खिलाफ कोई कार्यवाही हो ही नहीं पाए। बस, फिर क्या था हुआ भी वही जैसा षड्यंत्रकारियों ने सोचा था। छोटा भाई जैसे ही चेयरमैन के घर पहुंचा तो पहले से तैयार चेयरमैन व उनके बेटे ने घर में मौजूद दर्जनों गुंडों के साथ मिलकर पहले उसे बर्बरता से मारा-पीटा फिर बाद में तत्कालीन इंस्पेक्टर लोकेश भाटी के साथ मिलकर घर में घुसकर हमला करने के मामले में फर्जी एफआईआर नम्बर 143/20 दर्ज करा दी जबकि उक्त मामले में घटना के तुरंत बाद ही गोपाल ने एसएसपी समेत तत्कालीन आईजी जोन, आगरा को इस पूरे प्रकरण से फोन पर अवगत करा दिया था जिसके बाद उन्होंने आश्वासन भी दिया लेकिन घटना में छोटे भाई को आई बेहद गंभीर चोटें जिसकी पुष्टि मेडिकल में भी उसके पैर में फ्रेक्चर के रूप में हुई लेकिन बावजूद इसके पीड़ित की तहरीर पर कोई मुकदमा शिकायत करने के बावजूद आरोपी चेयरमैन पिता-पुत्र व अन्य आरोपियों के खिलाफ दर्ज नहीं किया गया। यहां भी एक दिलचस्प वीडियो उसी रात चेयरमैन के बेटे द्वारा जारी किया गया था जिसमे वह गोपाल समेत 4 नामजद व 4 अज्ञात हमलावरों द्वारा घर मे घुसकर मारपीट करने का आरोप लगा रहा था लेकिन वहीं खुद चेयरमैन द्वारा केवल गोपाल व उसके छोटे भाई को ही नामजद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद से ही पूरा मामला पत्रकार के खिलाफ सुनियोजित साजिश का हिस्सा ही लग रहा था, जोकि किसी के गले से नीचे नहीं उतर पा रहा था।

उक्त दोनों ही मामलों में करीब तीन माह बाद पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी को बिना किसी तथ्य अथवा सुबूतों के केवल उन्हीं के खासमखास व उन लोगों के बयान के आधार पर जेल भेज दिया गया जिनमें से दो युवकों के परिजनों के खिलाफ गोपाल की वजह से एफआईआर दर्ज हुई थी, बाद में मथुरा जिला अदालत से उन्हें जमानत मिल गई। जेल भेजने के बाद 13 सितंबर 20 को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी जिस पर दिनांक 16/12/20 को माननीय न्यायालय एसीजेएम सिविल जज सीनियर डिवीजन-5, मथुरा द्वारा दाखिल चार्जशीट का अवलोकन कर पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी व उनके भाई के खिलाफ मुकदमा चलाने हेतु वारंट/समन नोटिस जारी करने का प्रसंज्ञान व समन आदेश जारी कर दिया गया। इसी प्रसंज्ञान व समन आदेश व पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट के खिलाफ गोपाल ने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन दाखिल कर उपरोक्त चार्जशीट व प्रसंज्ञान व समन आदेश को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर 21 को निचली अदालत के प्रसंज्ञान व समन आदेश को रद्द करते हुए आदेश की एक प्रति संबंधित अधीनस्थ न्यायालय को प्रेषित करने का आदेश दिया है। बताते चलें कि इससे पहले ही गोवर्धन नगर पंचायत कर्मचारी के मु.अ. सं. 137/20 में भी इसी तारीख पर निचली अदालत के प्रसंज्ञान व समन आदेश की कार्यवाही को 22 मार्च 21 को कड़ी टिप्पणी के साथ अगले आदेश तक माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे कर दिया था जोकि अभी विचाराधीन है।

वहीं हाईकोर्ट में आवेदनकर्ता पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी के अधिवक्ता एडवोकेट अखिलेश मौर्य व नरेंद्र कुमार ने बताया कि माननीय न्यायालय ने फ्रेश स्टेज पर ही बहुत बेहतरीन आदेश दिया है। शासकीय अधिवक्ता के साथ ही बचाव पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता वशिष्ठ तिवारी ने आवेदन को निरस्त करने की पुरजोर मांग की लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने आवेदन पर मौजूद तथ्यों व साक्ष्यों को तरजीह देते हुए अपने विधि व विवेक कौशल पर तुरंत अधीनस्थ न्यायालय द्वारा जारी प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर दिया। अब आवेदनकर्ता के खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में उक्त मामले में मुकदमा चलाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता और न ही पुनः इस प्रकार का कोई प्रसंज्ञान आदेश जारी करने का तो कुल मिलाकर इसे योगी सरकार की नियंत्रण से बाहर होती जा रही पुलिस की कार्यशैली को बड़ा झटका है।

हाइकोर्ट के आदेश का पत्रकार गोपाल प्रसाद सैनी ने स्वागत करते हुए इसे सत्य व पत्रकारिता की जीत बताया है। उन्होंने बताया कि अब वह दिन दूर नहीं जब इस पूरे षड्यंत्र को अंजाम देने वाले न केवल सत्ताधारी चेयरमैन पिता-पुत्र व उनके गुंडों बल्कि उन जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी वह जल्द से जल्द अदालत के जरिए कठोर कानूनी कार्यवाही करवाएंगे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Top News

Copyright © All Rights Reserved, HS live news | Website Developed by 8920664806
HS Live news को आवश्यकता है पुरे भारतवर्ष मे स्टेट हेड मंडल ब्यूरो जिला ब्यूरो क्राइम रिपोर्टर तहसील रिपोर्टर विज्ञापन प्रतिनिधि तथा क्षेत्रीय संबाददाताओ की खबरों और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करे:- 9648407554,8707748378,इमेल [email protected]