किसान उत्पादन संगठन चुनौतियो एवं क्रियान्वयन विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन

किसान उत्पादन संगठन चुनौतियो एवं क्रियान्वयन विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन
राष्ट्रीय वेबीनार का उद्घाटन उ0प्र0 की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा किया गया
रिपोर्ट-एस0एन0त्रिपाठी
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह के मार्गदर्शन में एक दिवसीय किसान उत्पादन संगठन( एफ पीओ): आवश्यकता, अवसर, चुनौतियां एवं क्रियान्वयन विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। राष्ट्रीय वेबीनार का उद्घाटन प्रदेश की राज्यपाल एवं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय वेबीनार की मुख्य अतिथि महोदया प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय किसान सम्मान दिवस के शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय ने किसान उत्पादक संगठन पर राष्ट्रीय वेबीनार कर प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 21.59 प्रतिशत से अधिक प्रदेश का योगदान है उन्होंने कहा कि प्रदेश में देश का 36.26 प्रतिशत गेहूं, 13. 68% धान, 20% गन्ना, 21% मूंगफली, राई एवं सरसों 8%, फल में 16% उत्पादन की हिस्सेदारी है। इसलिए प्रदेश के कृषक एफपीओ बनाकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकेंगे। साथ ही सरकार के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को सुदृढ़ करेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि देश एवं प्रदेश में 85% किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं। जिन्हें कृषि निवेश जैसे गुणवत्ता युक्त बीज, उर्वरक, जैविक कीटनाशक आदि समय से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। लेकिन एफ़ पीओ के गठन के बाद उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी,विश्वविद्यालय द्वारा जनपद कानपुर देहात के गांव अनूपपुर को जैव संवर्धित गांव घोषित कर कुलपति डॉ0 डीआर सिंह ने देश में एक अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने कुलपति से कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव अनूपपुर को आदर्श गांव बनाएं। जिससे अन्य गांव प्रेरणा लेकर समृद्ध एवं आदर्श गांव बन सके, कृषि उत्पादन संगठन के अतिरिक्त विश्वविद्यालय महिला कृषक उत्पादक संगठन भी बनाए। जिससे कृषक महिलाएं उद्यमी बनकर आत्मनिर्भर बने। इस अवसर पर कुलपति कृषक उत्पादक संगठनों को शीघ्र ही तकनीकी, बीमा, फसल खरीद एवं विपणन तथा नेटवर्किंग सेवाओं से सुदृढ़ किये जाने पर जोर दिया जिससे कृषकों की आय बढ़ेगी। साथ ही ग्रामीण नवयुवकों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर कृषि व्यवसाय सृजन एवं आत्मनिर्भर हेतु उन्हें कृषि विज्ञान केंद्रों एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के दृष्टिगत प्रदेश में पहली बार विश्वविद्यालय द्वारा आधारित प्राकृतिक खेती के प्रयोग प्रारंभ किए जा चुके हैं। साथ ही विश्वविद्यालय में बहुत ही शीघ्र इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ पंजाब सिंह ने कहा कि किसान भाई एफ़पीओ के माध्यम से मुर्गी पालन,मत्स्य पालन, शहद उत्पादन के अतिरिक्त अन्य कृषि आधारित उद्योग स्थापित कर देश की पूंजी बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं। साथ ही एफपीओ सहकारी समितियों की तरह संचालित हों। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ ए के सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य पालन डॉक्टर संजीव बालियान जी, केंद्रीय राज्य मंत्री कृषि एवं किसान कल्याण श्री पुरुषोत्तम रुपाला जी, प्रदेश के कृषि ,कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत जी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। अंत में अतिथियों को धन्यवाद कार्यक्रम संयोजक डॉ सी एल मौर्या ने दिया। मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया कि उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र सुचारू से शुरू किया गया। संगठनों के गठन, संचालन, चुनौतियों, मॉडल गांव एवं एफपीओ अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों/ शिक्षकों/ वैज्ञानिकों शहीद देश के लगभग सभी संस्थाओं के वैज्ञानिकों तथा कृषि उत्पादन संगठनों एवं कृषकों ने सहभागिता की।