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गरुडासन : योग की क्रिया जानिये इस योग के लाभ व योग विधि

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गरुडासन : योग की क्रिया जानिये इस योग के लाभ व योग विधि_*

DR RAO P SINGH

इस आसन में हाथ एक दूसरे में गूंथ लिए जाते हैं और छाती के सामने इस प्रकार रखे जाते हैं, जैसे गरुड़ की चोंच होती है, इसलिए इस आसन को गरुड़ासन कहा जाता है। गरुड़ासन योग खड़े होकर करने वाले योग में एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। यह अंडकोष एवं गुदा के लिए बहुत लाभकारी योगाभ्यास है।

गरुड़ासन योग के लाभ

1 इस आसन का नियमित अभ्यास से गुदा, मलाशय तथा मूत्राशय के रोगियों में उपयोगी पाया गया है।

2 इसका नियमित अभ्यास से अंडकोष को बढ़ने से रोक जा सकता है।

3 यह आसन पैरों और जांघों को मजबूत बनाता है।

4 घुटनों के लिए लाभदायक: यह जोड़ों की सक्रियता बढ़ाता है, घुटनों, पैरों एवं जोड़ों का दर्द दूर करता है।

5 हाथों के मजबूती के लिए: यह आपके हाथों को मजबूत बनाता है और कोहनी के दर्द से छुटकारा दिलाता है।

6 इस आसन के अभ्यास से मन और शरीर में शांति आती है और शरीर में सामंजस्य बना रहता है।

गरुड़ासन योग विधि

सबसे पहले आप सीधे खड़े हों।

दाएं पांव को बाएं पांव के ऊपर से क्रॉस कराते हुए दूसरी ओर ले जाएं।

बाहों को रस्सी के समान एक दूसरे में गूंथ दें।

आपस में गुंथे हुए हाथों को गरुड़ की चोंच के समान छाती के आगे रखें।

घुटने को मोड़कर संतुलन बनाएं।

यही क्रिया दूसरे तरफ से करें।बाएं पांव को दाएं पांव के ऊपर से ले जाकर इसे दूसरी ओर भी करें।

इस प्रकार एक चक्र पूरा हुआ।

इस तरह से आप तीन से पांच चक्र करें।

गरुड़ासन योग की सावधानिया

हड्डियों तथा जोड़ों में चोट होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।

बहुत गंभीर गठिया में इस आसन को नहीं करनी चाहिए।

नसों में सूजन होने पर इसको करने से बचना चाहिए।

ताजा शल्य क्रिया हुई हो तो भी इस आसन से बचे

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