आधुनिकता की दौड़ में कहाँ जा रहे है हम क्या गलत क्या सही ये भी नही पहचान पा रहे ??

आधुनिकता की दौड़ में कहाँ जा रहे है हम क्या गलत क्या सही ये भी नही पहचान पा रहे
डा. राव पी सिंह
करीब एक हप्ते पहले एक चित्र डाला था,जिसमे एक युवा नृत्यांगना एक स्टेज पर एक खास मुद्रा, जिसे स्वास्तिक-मुद्रा कहा जा रहा है, में पोज़ देती दिखाई दे रही है ! क्यों नहीं इसी मुद्रा में किसी पुरुष का चित्र डाला गया ? चुकी मेने इसी मुद्रा में डेढ़ महीने पहले एक 10 साल के बच्चे की पोस्ट कर चुका हूं तो मैंने इसे सरासर गलत माना और इस चित्र की तुलना एक गैरज़रूरी नुमाइश से की !
अधिकांश हिन्दू युवकों-अधेड़ों ने पूछा कि आखिर इस चित्र में गलत क्या है ?
आजकल युवतियां… यहां तक विवाहित महिलाएं भी सड़कों पर शॉर्टस ( छोटा नेकर) पहने घूमती दिख जाती हैं ! पूँछिये… ” इसमे गलत क्या है ? “… नोएडा-दिल्ली में युवतियां सिगरेट के कश लगाती, कभी कभी चियर्स करती दिख जाती हैं..… पूँछिये “इसमे गलत क्या है?”… शीशे बन्द कारों…. पार्कों में युवक युवतियां खास मुद्रा में यौन संपर्क करते दिख जाते हैं… पूँछिये…”इसमे गलत क्या है ?” …
चरित्र की एक सीमा हो सकती है,लेकिन गिरने की नहीं ! एक रात में 10 हज़ार कमाने वाली एक महिला पूछती है कि ” मेरा शरीर ,जैसे इस्तेमाल करूँ,इसमें गलत क्या है ?” अपनी स्त्री को दांव पर लगाने वाला भड़ुवा पूछ सकता है कि ” इसमें गलत क्या है ? “…
चरित्रहीन समाज,जो अंकुशविहीन है, जिसके आचरण को नियंत्रित करने के लिए हमारे पास न कोई किताब है और न कोई संस्था !.. ऐसे ही समाज खत्म हो जाते है !
9 % पाकी फ्रांस को आतंकित किये पड़े हैं…. इंग्लैंड,जर्मनी और स्वीडन जैसे देश लड़खड़ा रहे हैं,जो नारी-विचारों की स्वतंत्रता के अगुआ है… सुगठित मोमिन संसार के सामने यह आधुनिक लोग पानी भर रहे हैं ! कथित विचारों, पहनावे की स्वतंत्रता और आधुनिकता के दंश ने इनको मोमिनों के आगे नाक रगड़ने को मजबूर कर दिया है !
हिन्दू समाज मे विचारों की इस नंगी दौड़ के इस बढ़ते साम्राज्य पर रोक लगाने का वक्त आ चुका है ! क्या मोमिन समाज की बेटियां… डॉक्टर… इंजीनियर,आईएएस,PCS नहीं होती ? क्या मोमिन बेटियां BPO में काम नहीं करतीं ? क्या मोमिन बेटियां राजनीति में नहीं हैं ? क्या अध्यापन कार्य मे मोमिन महिलाओं का वर्चस्व आपको नहीं दिख रहा ? दरसअल उनकी बेटियों की सफलताएं उनकी जनसंख्या के अनुपात में हमसे कहीं ज़्यादा है ! मगर उन्हें आधुनिकता, विचारों और आचरण में नंगेपन का ग्रहण नहीं लगा है… पूरे विश्व मे इस्लामिक अनुशासन के चलते इस्लाम का डंका पिट रहा है… हमारे पैरों से हमारी ज़मीन छीनी जा चुकी है… मगर यहाँ हम अपनी स्त्रियों को नचा कर और नेकर पहनाकर आधुनिकता की भांग पीकर बेसुध पड़े हैं…
सोचिए ….
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