सड़क दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े डराने वाले,जिम्मेदार..??

सड़क दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े डराने वाले,जिम्मेदार..??
यातायात के नियमों का पालन कर दुर्घटना से बचा जा सकता..!
वैसे हम कितने जागरूक हैं यातायात के नियमों को लेकर सबसे ज्यादा हम ही यातायात के नियमों तोड़ते हैं अगर कहि कोई चेकिंग अभियान चलता हैं तो हम बस चालान करवाने में विश्वास रखते हैं बल्कि अगर जितने का चालान हैं उतने रुपयों में हम हेल्मेट व गाड़ी का इंश्योरेंस व अन्य कागज तैयार कराया सकते हैं लेकिन हम उस ओर नही सोचना चाहते वैसे अगर देखा जाए तो सड़क सुरक्षा के सारे दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं!इस बात की पुष्टि हाल में पेश सरकारी आंकड़े करते हैं, बीते साल पूरे देश में करीब पौने दो लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत हो गई!यह लापरवाही से गाड़ी चलाने और आबादी के अनुसार सड़क परिवहन के पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में हमारी विफलता का भी प्रमाण है!सड़क पर खतरनाक ढंग से गाड़ी दौड़ाने वाले बेपरवाह किशोरों,युवाओं और उन्मत्त चालकों के लिए यह एक सबक है!यह समस्या साल-दर-साल गंभीर होती जा रही है, मगर अफसोस कि आज भी सड़क सुरक्षा को लेकर आमजन व सरकारों में अपेक्षित गंभीरता का अभाव है!सड़कों में गड्ढे, सड़कों का संकरा होना, उन पर अतिक्रमण, मवेशियों का डेरा, पार्किंग की कमी, नशे में, बिना हेलमेट, सीटबेल्ट गाड़ी चलाना अधिकतर चालकों द्वारा सड़क चेतावनी संकेतकों की उपेक्षा, संकेतकों की कमी, अवैध गति अवरोधक, वाहनों में सड़क सुरक्षा से संबंधित उन्नत तकनीकी का अभाव,अन्य विभागों द्वारा सड़कों की खुदाई कर छोड़ देना और अंततः सड़क सुरक्षा के प्रति उत्तरदायित्व का अभाव आदि सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं! इन कमियों की प्राथमिकता में रखकर कार्य करने की आवश्यकत है अन्यथा आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं!! मधुर शर्मा आरटीआई कार्यकर्ता गाजियाबाद