भगवान भाव के भुखे, उन्हे सुन्दर तन नही मन प्रिय है- मृदुल जी महाराज

भगवान भाव के भुखे, उन्हे सुन्दर तन नही मन प्रिय है- मृदुल जी महाराज
रिपोर्ट मनोज रुंगटा
रूद्रपुर देवरिया रुद्रपुर नगर के बाईपास स्थित ग्राम पतिजिऊवा मे चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्री मद भागवत कथा के दूसरे दिन श्री धाम बृंदावन से पधारे कथा व्यास श्री गंगोत्री तिवारी मृदुल जी महाराज ने भागवत कथा के महात्म्य के अंतर्गत गोकर्ण धुंधकारी प्रसंग को श्रवण कराते हुए बताया कि धुंधकारी अपने बुरे कर्म के कारण उच्च कुल में जन्म लेने के पश्चात भी प्रेत योनि को प्राप्त हुआ और शबरी नीच कुल में जन्म लेकर भी भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी को अपने जूठे बेर खाने पर विवश कर दिया भगवान को सुन्दर तन नही अपितु सुन्दर मन प्रिय है प्रभु को छल कपट चतुराई से नही पाया जा सकता अगर प्रभु को पाया जा सकता है तो श्रेष्ठ कर्म व प्रेम से पाया जा सकता है भगवान तो भाव के भूखे है अतः हमें अपने जीवन मे से छल कपट निंदा अभिमान का त्याग कर सत्कर्म करते हुए भगवद चिन्तन करना चाहिए जिससे हम अपने जीवन मे भगवान का साक्षात्कार कर सके
कथा के मुख्य यजमान केशमती पत्नी राजाराम निषाद ने सपरिवार व्यास जी का पूजन कर भागवत पोथी का पूजन कर भागवत की पावन कथा को अपने इस्टमित्रो व नगर वासियों के साथ कथा को श्रवण किया